मुजफ्फरनगर के प्रसिद्ध व्यवसायी और समाजसेवी लाला मूलचंद जी सर्राफ की आरिष्टी पर उनको श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए उनके महान व्यक्तित्व तथा प्रेमभरे व्यावहार की अनेक स्मृतियां मन में सजीव हो उठी हैं। उनका लोक संपर्क एवं लोक व्यावहार व्यापक और अद्भुत था। लाला जी मुजफ्फरनगर की पहिचान थे। वेद में कहा गया है – ‘अन्यो अन्यस्मै वल्गु वदन्त एत’ – एक दूसरे से मधुर (मीठा) बोलते रहो। ‘अन्यो अन्यमि हर्यत’ – तुम एक दूसरे से प्रतिपूर्वक रहो। लाला जी जीवन पर्यन्त इन वेद वाक्यों को अपने जीवन में उतार कर जिंदगी जीते रहे। जब भी मुजफ्फरनगर के भद्र एवं श्रेष्ठ पुरषों को याद किया जाएगा, लाला जी का नाम सबसे आगे रहेगा।
ऐसे श्रेष्ठ सद्पुरुष की यादें मन में संजोये हुए हम उनको श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।
गोविंद वर्मा
सम्पादक ‘देहात’
मुजफ्फरनगर।