अलगाववाद, अविश्वास, असहिष्णुता व संघर्षों के इस दौर में यह हिन्दू मंदिर दुनिया के लिए आशा की नई किरण लेकर आया है। मानव जाति की भलाई के लिए सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक तौर पर एक साथ काम करने का हिन्दू मंदिर का मजबूत संकल्प वास्तव में सराहनीय है…… शांति, सद्भाव, भाईचारे और सह-अस्तित्व के मूल्यों को बढ़ावा देने के लिए आपकी प्रतिबद्धता और समर्पण के लिए हम आपके आभारी हैं।
क्या ये विचार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के किसी प्रचारक, किसी भगवाधारी हिन्दू साधु-सन्यासी अथवा भाजपा के या किसी भगवाधारी नेता के हैं?
नहीं, ये विचार संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के मंत्री शेख नाहयान बिन मुबारक अल नाहयान के हैं जो उन्होंने यूएई की राजधानी अबूधाबी में बने हिन्दू मन्दिर में 2 अप्रैल को आयोजित एक समारोह में व्यक्त किये हैं।
इस कार्यक्रम में अब्राहमिक फैमिली के रब्बी जेफ बर्जर, यूएई के विदेश व्यापार राज्यमंत्री डॉ. थानी बिन अहमद अल जायौदी, यूएई सरकार के सामुदायिक विकास विभाग के अध्यक्ष डॉ. मुगीर खामिस अल खैली सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
ज्ञातव्य है कि इस हिन्दू मंदिर का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 14 फरवरी, 2024 को किया था।
भारत के लोगों को गंभीरता से विचार करना चाहिए कि एक ओर संयुक्त अरब अमीरात में बने हिन्दू मंदिर में जाकर इस्लामी देश के विशिष्टजन भारत की वसुधैव कुटुम्बकम् की अवधारणा की मुक्तकंठ से सराहना कर रहे हैं और उसे पूरी मानवता के लिए कल्याणकारी बता रहे हैं दूसरी ओर मानव कल्याण का संसार को संदेश देने वाले भगवान् श्रीराम के अस्तित्व को नकारने और उनके मंदिर का बहिष्कार करने वाले भारत में चारों ओर लोगों को भरमाते फिर रहे हैं।
गोविन्द वर्मा
संपादक ‘देहात’