हिंदी दिवस पर निवेदन !

आज हिंदी दिवस पर हिंदी के प्रमुख समाचारपत्रों में हिंदी की महत्व को बखानते हुए अनेक लेख प्रकाशित हुए तो फेसबुक पर अनेक बधाई संदेश डाले गए। कुछ महानुभावों ने यह लिखा कि हम स्टेशन, इंजेक्शन, स्कूल-कॉलेज, कर्फ्यू जैसे शब्दों से कैसे परहेज़ कर सकते हैं?

इस बात को सही मानते हुए हिंदी के बड़े समाचारपत्र अब प्रधानमंत्री के बजाय पीएम, मुख्यमंत्री को सीएम, जिला अधिकारी को डीएम लिख समाचार छापते हैं। यानि पहले के मुकाबले हिंदी समाचार पत्रों के संपादकों को अंग्रेजी के शब्द अधिक सुविधाजनक प्रतीत होते हैं।

आज के एक दैनिक ने हिंदी दिवस पर पूरा पृष्ठ प्रकाशित किया तो अपने समाचारों के शीर्षकों में अंग्रेजी के ये शब्द भी छापे – वन स्टॉप सेंटर इंचार्ज, कॉमर्स, एसटीएस सेंटर, पॉलीटेक्निक, काउंसलिंग, रीवैम्पड डिस्ट्रीब्यूशन सेंटर, आरडीएस योजना, डिफेंस कॉरिडोर, नोड, कॉलेजियम, ड्रग रैकेट, यूएनए।

यह अखबार आयुक्त को कमिश्नर, जिला गन्ना अधिकारी को डीसीओ, उर्वरक को फर्टिलाइजर, सिंचाई को इरीगेशन और पश्चिमी उत्तर प्रदेश को वेस्ट यूपी छापने का आदी है।

एक और अंग्रेजी शब्द बहुत प्रचलित हुआ है- रेस्क्यू। हिंदी के संपादक बंधु बताये कि क्या इन शब्दों के हिंदी पर्याय मौजूद नहीं है या हिंदी शब्द हिंदी भाषा के लिये अनुपयुक्त है?

परिस्कृत हिंदी के नाम पर कठिन एवं दुरूह भाषा से परहेज किया जाना चाहिए किंतु हिंदी समाचारों अथवा हिंदी लेखन के माध्यम से अंग्रेजी भाषा के शब्द जबरन नहीं ठूसे जाने चाहियें। लाइसेंस, टिकट, डॉक्टर जैसे शब्दों से तो किसी को परहेज नहीं है। क्या नये अंग्रेजी शब्दों का प्रयोग कर आप उन्हें भी अंग्रेजी न जानने वालों को अंग्रेजी सिखाना चाहते हैं। ऐसा है तो अखबार में अंग्रेजी पाठ्यक्रम धारावाहिक रूप से निरंतर छापिये!

गोविंद वर्मा
संपादक देहात

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