हथकंडेबाज हड़ताली नेताओं को अदालत की चेतावनी !

24 मार्च 2023 को माननीय इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के 25 करोड़ निवासियों के हितों का ध्यान रखते हुए एक अति महत्वपूर्ण फैसला किया। कोर्ट ने गैरकानूनी, असंवैधानिक बिजली हड़ताल के जरिये प्रदेश में हाहाकार मचवा कर जनता को 20,000 करोड़ की चपत लगाने वाले कर्मचारी यूनियन के नेताओं का एक मास का वेतन एवं भत्ता काटने का आदेश दिया है। यह भी कहा कि न्यायालय ने हड़ताली कर्मचारियों के नेताओं से आश्वासन चाहा था कि वे भविष्य में ऐसा कुछ नहीं करेंगे जिससे करोड़ों नागरिकों को असुविधा हो किन्तु कोर्ट को यह आश्वासन नहीं दिया गया। 24 मार्च के फैसले में माननीय न्यायालय ने पुन: चेतावनी दी है कि हड़ताल होने पर उनके विरुद्ध सख्ती बरती जाएगी।

यह बहुत खेदजनक स्थिति है कि हड़ताल को हथियार के रूप में इस्तेमाल करने के अभ्यस्त कर्मचारी युनियनों के नेता अदालत के आदेश की उपेक्षा करने पर उतारू हैं। कोर्ट का आदेश आते ही वे लखनऊ के सरोजनी नायडू पार्क में एकत्र हुए और सरकार को खुली चेतावनी दी कि मांगे स्वीकार न होने पर 18 लाख सरकारी कर्मचारी यूपी को जाम कर देंगे। बैठक में 28 मार्च को सभी जिला मुख्यालयों पर प्रतीकात्मक धरना देने का निर्देश भी दिया गया।

यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि जनता द्वारा ठुकराये गए राजनीतिक दल हड़तालियों यूनियन नेताओं को उकसा रहे हैं। यही कारण है कि शिक्षकों ने बोर्ड की उत्तर पुस्तिकायें न जांचने की धमकी दी और रोडवेज कर्मी चक्का जाम का डर दिखा रहे हैं। कर्मचारियों को भड़काने में कांग्रेस व कम्यूनिस्टों को महारथ हासिल है। लंच ब्रेक में वी.एन. सुकुल द्वारा तत्कालीन मुख्यमंत्री चौ. चरण सिंह को खूब गालियाँ दिलवाई जाती थीं। इनाम स्वरूप उन्हें राज्यसभा सदस्य बनाया गया।

उत्तर प्रदेश आज तेजी से उत्तम प्रदेश बनने की राह में आगे बढ़ रहा है। वंशवादी- जातिवादी नेता, रिश्वतखोर, आन्दोलन जीवी, एन.जी.ओ की आड़ में चन्दाखोरी करने वाले, बाहुबली, माफियाओं को हड़तालों से आक्सीजन मिलती है और आम जनता हलकान होती है। यह सरकार का काम है कि वह देखे कि ब्लैकमेलरों से कैसे निपटना है। कोर्ट तो अपना काम कर ही रही है।

गोविंद वर्मा
संपादक ‘देहात’

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