श्रीकृष्ण जन्मभूमि प्रकरण: अब 23 जुलाई को होगी सुनवाई, कोर्ट में ‘नो-वर्क’ के चलते टली हियरिंग

मथुरा : पिछले साल श्रीकृष्ण जन्मभूमि के मालिकाना हक को लेकर दायर की गयी पिटीशन पर सिविल जज सीनियर डिवीजन की कोर्ट में सोमवार को सुनवाई होनी थी. लेकिन, नो वर्क होने की वजह से मामले की सुनवाई नहीं हो सकी. अब मामले की सुनवाई 23 जुलाई को होगी. पिटीशन दायर करने वाले अधिवक्ता महेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि न्यायालय के समक्ष दो बिंदु रखे गए थे. जीपीआरएस सिस्टम और रेडियोलॉजी सिस्टम के द्वारा खुदाई करानी चाहिए ताकि हिंदू देवी-देवताओं के विग्रह वहां से निकल सकें और कुछ अहम सबूत न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किए जाएंगे.

23 दिसंबर 2020 को सिविल जज सीनियर डिविजन की कोर्ट में सामाजिक संस्था यूनाइटेड हिन्दू फ्रंट धर्म रक्षा संघ के साधु-संतों ने श्रीकृष्ण जन्मभूमि के मालिकाना हक को लेकर पीटिशन दायर किया था, जो कि श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले में पहला वाद दर्ज हुआ था. आज सोमवार को कोर्ट में नो वर्क होने की वजह से मामले की सुनवाई नहीं हो सकी. अब मामले में अगली सुनवाई 23 जुलाई को होगी.

अब 23 जुलाई को होगी सुनवाई

अधिवक्ता महेंद्र प्रताप सिंह द्वारा न्यायालय के समक्ष आज दो बिंदु रखे गए थे, जिसमें कहा गया था कि जीपीआरएस सिस्टम और रेडियोलॉजी सिस्टम के द्वारा खुदाई करानी चाहिए, ताकि हिंदू देवी-देवताओं के विग्रह के अहम सबूत मिल सकें. मुगल शासक औरंगजेब के 1670 में मंदिर तोड़ने का शाही फरमान की कॉपी न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया.

अदालत में पेश किये गये दस्तावेज

12 अक्टूबर 1968 को कटरा केशव देव मंदिर की जमीन का समझौता श्रीकृष्ण जन्मस्थान सोसायटी द्वारा किया गया. 20 जुलाई 1973 को यह जमीन डिक्री की गयी. डिक्री रद्द करने की मांग को लेकर सामाजिक संस्था की तरफ से सीनियर डिवीजन सिविल जज की कोर्ट में वाद दर्ज किया गया. न्यायालय के समक्ष दो बिंदु रखे गये थे, जिसमें कहा गया है कि आगरा लाल किले के पास छोटी शाहिद मस्जिद की सीढ़ियों में दबी मूल विग्रह की खुदाई जीपीआरएस सिस्टम और रेडियोलॉजी सिस्टम के द्वारा करानी चाहिए ताकि मूल विग्रह वहां से बरामद किए जा सकें. मुगल शासक औरंगजेब ने 1670 में जो शाही फरमान मंदिरों को तोड़ने का जारी किया था, उसकी कॉपी भी हमने न्यायालय के समक्ष दी है.

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