श्रीकृष्ण जन्मस्थान: मुस्लिम पक्ष के लिमिटेशन एक्ट की निकाली काट, हिंदू पक्ष सामने लाएगा ये तथ्य

श्रीकृष्ण जन्मस्थान की जमीन पर मंदिर बनाने के लिए वर्ष 1815 में राजा पाटिनीमल ने अंग्रेजों से नीलामी में जिस जमीन को खरीदा था, उसका मुसलमानों ने विरोध किया और तत्कालीन कानून भी उनके पक्ष में रहा। इसके चलते ईदगाह की जमीन राजा पाटिनीमल के पास नहीं आ सकी। ब्रिटिश शाासन में मथुरा के डीएम रहे एफ एस ग्राउस की पुस्तक में लिखे इन तथ्यों को योगेश्वर श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ ट्रस्ट के पक्षकारों ने अपने दावे का हिस्सा बनाया है। 

पक्षकार अब अपने इसी दावे के आधार पर ईदगाह पक्ष द्वारा अदालत में लाए जा रहे लिमिटेशन एक्ट की काट करेंगे। सिविल जज सीनियर डिवीजन द्वितीय की अदालत योगेश्वर श्री कृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ ट्रस्ट की तारीख 10 जुलाई को है। यह मामला उसी से जुड़ा और इसी दिन पक्षकार प्रतिवादियों के जवाब आने बाद अपनी बात रखने जाएंगे।

 ट्रस्ट के अध्यक्ष एडवोकेट अजय प्रताप सिंह ने बताया कि जिस लिमिटेशन एक्ट के सहारे मुस्लिम पक्ष हिंदू पक्ष के दावों को आगे बढ़ने से रोक रहा है, हम उसी एक्ट के सहारे ही उनके विरोध को खत्म करेंगे। इस एक्ट में साफ तौर पर बताया गया है कि कोई तथ्य अदालत से छिपाया जाता है तो लिमिटेशन एक्ट लागू नहीं होगा। पक्षकार ने बताया कि उनके द्वारा जो दावा अदालत में किया गया है, उसमें उन्होंने मथुरा के डीएम रहे एफएस ग्राउस की पुस्तक के तथ्यों को शामिल किया है।
 

 साथ ही उन्होंने 13.37 एकड़ जमीन पर नहीं बल्कि केवल उस अष्टभुजीय आकृति पर दावा किया है जो कि मंदिर का मूल भवन है और वर्तमान में जिस पर ईदगाह मौजूद है। एफएस ग्राउस ने अपनी पुस्तक में साफ तौर पर कहा है कि राजा पाटिनीमल ने अंग्रेजों से नीलामी में जो जमीन ली थी उस पर वह मंदिर बनाना चाहते थे। उस समय मुसलमानों ने इसका विरोध किया और उस समय जो कानून था वह भी मुसलमानों के पक्ष मेंं ही रहा। इसके चलते मूल मंदिर की जमीन राजा पाटिनीमल को नहीं मिल सकी और मुसलमानों ने जो 200 वर्ष पहले जो कब्जा किया था वह बरकरार रहा।आर्कियोलॉजीकल सर्वे आफ इंडिया के पहले डायरेक्टर मेजर जनलर एलक्जेंडर कनिंघम ने अपनी पुस्तक आर्कियोलाॅजीकल सर्वे ऑफ इंडिया के वॉल्यूम वन में मंदिर की अष्टभुजीय आकृति का नक्शा दिया है।

उन्होंने मंदिर के चारोें ओर के बाजार को कटरा शब्द से संबोधित करते हुए कहा है कि इसकी लंबाई 804 फीट व चौड़ाई 653 फीट थी। इसके बीच मेें जामा मस्जिद 25 से 30 फीट ऊंचे चबूतरे पर खड़ी थी। यह मस्जिद 172 फीट लंबी और 66 फीट चौड़ी थी। पक्षकार ने बताया कि फ्रांसीसी यात्री टेवर्नियर ने भी वर्ष 1650 की अपनी यात्रा के वृंतात में लिखा है कि कटरा केशवदेव का मंदिर अष्टभुजीय आकार के चबूतरे पर खड़ा था। पक्षकार का कहना है वह ऐतिहासिक तथ्यों को अदालत में पेश करेंगे।

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