सुकमा जिले में सुरक्षा बलों की सक्रिय कार्रवाई के बीच 15 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है, जिनमें चार नक्सली बटालियन नंबर-1 के सदस्य हैं। यह बटालियन संगठन की सबसे मजबूत और रणनीतिक इकाई मानी जाती है। अमर उजाला से बातचीत में आत्मसमर्पित नक्सली ने बताया कि हिड़मा के मारे जाने और लगातार सुरक्षा अभियान के चलते बटालियन की ताकत कमजोर हो गई है। उनके अनुसार जंगलों में दबाव बढ़ गया है और शीर्ष नेतृत्व डगमगा गया है, जिसके कारण बड़ी संख्या में नक्सली संगठन छोड़कर लौट रहे हैं।

आत्मसमर्पित नक्सली ने यह भी संकेत दिया कि जल्द ही बटालियन नंबर-1 के वरिष्ठ माओवादी नेता बारसे देवा समेत अन्य सदस्य भी आत्मसमर्पण कर सकते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यह आत्मसमर्पण केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा संचालित संयुक्त अभियानों का परिणाम है।

बस्तर के कठिन इलाकों में 31 मार्च 2026 तक नक्सल-मुक्त भारत के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए नए कैंप स्थापित किए जा रहे हैं, सड़क निर्माण जारी है और ड्रोन सर्विलांस बढ़ा दी गई है। इससे बटालियन नंबर-1 के प्रभाव क्षेत्र को तेजी से सीमित किया जा रहा है और नक्सल गतिविधियों पर नियंत्रण मजबूत हो रहा है।