हरियाणा सरकार के सबसे बड़े और चर्चित चेहरे अनिल विज इस वक्त अपनी ही सरकार और मुख्यमंत्री से नाराज चल रहे हैं. पिछले कुछ दिनों में लगातार एक के बाद एक अनिल विज के नाराजगी-भरे बयान भी सामने आ चुके हैं. यहां तक कि अनिल विज ये भी कह चुके हैं, अगर मुख्यमंत्री चाहे तो उनकी मंत्री पद की कुर्सी भी छीन सकते हैं लेकिन विधायक का पद उन्हें जनता ने दिया है और इसे कोई नई छीन सकता. बड़ा सवाल ये है कि आखिरकार वो अपनी ही सरकार और मुख्यमंत्री से इतने नाराज क्यों चल रहे हैं?

दरअसल, अनिल विज का मानना है कि पार्टी के ही कुछ स्थानीय नेताओं और वर्करों ने विधानसभा चुनाव के दौरान उनके खिलाफ जाकर निर्दलीय खड़ी उम्मीदवार चित्रा सरवारा का समर्थन किया था. उनको नाराजगी ये भी है कि ऐसे बीजेपी नेताओं को अब तक पार्टी से निष्कासित नहीं किया गया.

अनिल विज ने एक पोस्ट से मुख्यमंत्री के नजदीकी नेताओं की वो तस्वीरें भी गद्दार लिखकर शेयर कीं, जिसमें वो लोग खुद बीजेपी नेता होने के बावजूद विज के खिलाफ चुनाव लड़ने वाली चित्रा सरवारा के साथ दिखाई दे रहे हैं. दूसरी ओर मुख्यमंत्री नायब सैनी के साथ भी उन्हीं लोगों की तस्वीर दिखाई दे रही हैं.

अनिल विज ऐसे अफसरों के खिलाफ कार्रवाई चाहते थे

अनिल विज अक्सर ये भी आरोप लगाते रहे हैं कि विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान कुछ स्थानीय सरकारी अफसरों के साथ मिलकर ऐसा भी प्रयास किया गया कि उनके चुनाव प्रचार में खून-खराबा हो जाए. ताकि कुछ कार्यकर्ताओं की जान चली जाए या खुद अनिल विज को ही कुछ हो जाए.

सूत्रों के मुताबिक, अनिल विज कुछ ऐसे ही अफसरों के खिलाफ कार्रवाई चाहते थे. उन्हें शक है कि उन्होंने चुनाव प्रचार के दौरान उनके खिलाफ काम किया. हालांकि विज की नाराजगी को दूर करने के लिए सरकार ने अंबाला के डीसी का ट्रांसफर भी कर दिया लेकिन अभी भी अनिल विज संतुष्ट नहीं है.

इसके अलावा विज अपने द्वारा लगाए जाने वाले जनता दरबारों और ग्रीवेंसिस कमेटी की बैठकों के दौरान दिए जाने वाले आदेशों का पालन ना होने से भी नाराज चल रहे हैं. ज्यादातर उनके द्वारा कुछ सरकारी अफसरों को सस्पेंड करने या उनके खिलाफ विभागीय जांच करने के जो आदेश इन बैठकों में दिए गए उन्हें सरकार ने मानने से इनकार कर दिया.

अब तक इस सरकार में पूरे नहीं हुए

यही वजह है कि विज सीधे तौर पर अब कह रहे हैं कि 100 दिन बीत जाने के बावजूद उनके काम अब तक इस सरकार में पूरे नहीं हुए हैं. साथ ही वो मुख्यमंत्री को ये भी नसीहत दे चुके हैं कि वो उड़नखटोले यानी हेलीकॉप्टर से नीचे उतरकर जनता के हित में काम करें. विज की नाराजगी लगातार मुख्यमंत्री नायब सैनी और अपनी ही सरकार को लेकर बढ़ती जा रही है.

यही वजह है कि उन्होंने बगावती तेवर अपना लिए हैं और सीधे तौर पर कह रहे हैं कि अगर उनसे मंत्री पद छीन भी लिया जाता है तो इससे उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता. अगर सरकार उन्हें दी गई गाड़ी भी वापस ले लेती है तो उनके कार्यकर्ता पैसे इकट्ठे करके उन्हें नई गाड़ी दिलवा देंगे. उन्होंने ना तो सरकारी मकान ले रखा है न ही कोई सुविधा, ऐसे में उन्हें कुछ भी खोने का डर नहीं है.

अनिल विज हमारे सीनियर मंत्री और विधायक हैं

हालांकि हरियाणा सरकार के मंत्री इस पूरे विवाद पर नपा-तुला बयान ही दे रहे हैं. कृषि मंत्री श्याम सिंह राणा ने कहा कि अनिल विज हमारे सीनियर मंत्री और विधायक हैं. पार्टी के अच्छे नेता हैं. उनका अपना स्वभाव है और वो एक सम्मानित नेता हैं लेकिन सरकार में कोई मतभेद नहीं है. ये आपस की बात है और सभी अधिकारी अपना काम कर रहे हैं. विज कुछ ना कुछ बोलते रहते हैं लेकिन मन के साफ-सुथरे हैं.

इससे पहले अनिल विज का पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से भी कुछ ऐसा ही टकराव हुआ था. जब उनके द्वारा दिए जाने वाले आदेश सीएमओ के द्वारा रोक दिए जाते थे. अब कुछ ऐसा ही माहौल मुख्यमंत्री नायब सैनी के कार्यकाल के दौरान भी दिखाई दे रहा है. जहां पर अनिल विज फिर इसी बात से नाराज हैं कि वो जो आदेश देते हैं उसे सरकार के द्वारा या तो टाल दिया जाता है या रोक दिया जाता है.