कश्मीर घाटी में सुरक्षा एजेंसियों की प्रतिबंधित गुटों पर बढ़ी कार्रवाई से अलगाववादी खेमे में अफरातफरी मच गई है। इन संगठनों से कार्यकर्ता किनारा करने लगे हैं। ताजा मामला सैयद अली गिलानी के करीबी रहे एडवोकेट शफी रेशी का है, जिन्होंने ऑल पार्टीज हुर्रियत काॅन्फ्रेंस (जी) (एपीएचसी) और जम्मू-कश्मीर डेमोक्रेटिक पॉलिटिकल मूवमेंट (जेकेडीपीएम) से पूरी तरह से नाता तोड़ने का एलान किया है। रेशी ने संबंध तोड़ने की यह घोषणा छापे की कार्रवाई के बाद की है। 

घाटी के सबसे बड़े अलगाववादी गुट ऑल पार्टीज हुर्रियत काॅन्फ्रेंस (एपीएचसी) पर लगातार सुरक्षा एजेंसियों का शिकंजा कसा है। प्रतिबंधित संगठनों-तहरीक-ए-हुर्रियत (टीईएच), जम्मू-कश्मीर डेमोक्रेटिक फ्रीडम पार्टी (जेकेडीएफपी), जम्मू-कश्मीर पीपुल्स फ्रीडम लीग (जेेकेपीएफएल), जम्मू-कश्मीर मुस्लिम लीग (जेकेएमएल) पर सुरक्षा एजेंसियां दनादन छापे मार रही हैं।

राजनीतिक विश्लेषक भी मानते हैं कि इससे अलगाववादी मंसूबे को तगड़ी चोट पहुंची है। यही वजह है कि ऑल पार्टीज हुर्रियत काॅन्फ्रेंस गुट के छोटे सहायक दलों से जुड़े कार्यकर्ता अलगाववाद से तौबा कर मुख्यधारा में शामिल हो रहे हैं। कभी दिवंगत अलगाववादी नेता सैयद अली गिलानी के करीबी रहे मोहम्मद शफी रेशी के ऑल पार्टीज हुर्रियत कॉन्फ्रेंस (जी) और जम्मू-कश्मीर डेमोक्रेटिक पॉलिटिकल मूवमेंट से किनारा करने की घोषणा को भी इसी नजरिये से देखा जा रहा है। 

किनारा करने के बाद रेशी बोले - लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने में विफल रही ऑल पार्टीज हुर्रियत काॅन्फ्रेंस
अपने औपचारिक बयान में रेशी ने कहा कि उन्होंने 2017 में अध्यक्ष के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान डीपीएम से सभी संबंध तोड़ लिए थे। तब से उनका इन संगठनों या किसी अलगाववादी इकाई से कोई संबंध नहीं है। उन्होंने एपीएचसी की विचारधारा की आलोचना करते हुए कहा कि यह जम्मू-कश्मीर के लोगों की वैध आकांक्षाओं व शिकायतों को दूर करने में विफल रही है। अलगाववादी समूहों के संबंध में अपने नाम के अनधिकृत उपयोग के खिलाफ चेतावनी देते हुए रेशी ने कहा कि ऐसा कोई भी कार्य कानूनी कार्रवाई को आमंत्रित करेगा। 

गृहमंत्री ने पोस्ट में लिखा-मोदी सरकार की एकीकरण की नीतियों ने अलगाववाद को खत्म कर दिया
गृहमंत्री अमित शाह ने रेशी के अलगाववादी गुट से किनारा करने पर सोशल मीडिया में अपनी एक पोस्ट में लिखा, मोदी सरकार की एकीकरण की नीतियों ने जम्मू-कश्मीर से अलगाववाद को खत्म कर दिया है। हुर्रियत से जुड़े दो संगठनों ने अलगाववाद से सभी संबंध तोड़ने की घोषणा की है। मैं भारत की एकता को मजबूत करने की दिशा में इस कदम का स्वागत करता हूं और ऐसे सभी समूहों से आग्रह करता हूं कि वे आगे आएं और अलगाववाद को हमेशा के लिए खत्म कर दें।

लोग समझ चुके कि एपीएचसी की विचारधारा से कुछ हासिल नहीं होने वाला : राजनीतिक विश्लेषक
राजनीतिक विश्लेषक अनायत अहमद के अनुसार, जिस तरह की विचारधारा एपीएचसी रखती थी, अब लोग खासकर उनके करीबी समझ चुके हैं कि उससे कुछ नहीं मिलने वाला। इसकी एक बड़ी मिसाल जमात-ए-इस्लामी है, जिसने हाल ही में चुनावों में भाग लिया। यही नहीं उसने कहा कि अपनी बात मनवाने का सहारा लोकतंत्र ही है।