उत्तर प्रदेश पुलिस को कफ सिरप की अवैध तस्करी मामले में एक और बड़ी सफलता मिली है। लंबे समय से फरार चल रहा आरोपी और एसटीएफ से बर्खास्त सिपाही आलोक प्रताप सिंह आखिरकार लखनऊ में दबोच लिया गया। जानकारी मिली है कि वह बीते कुछ दिनों से आत्मसमर्पण की कोशिश कर रहा था, लेकिन उससे पहले ही एसटीएफ की टीम ने उसे घेरकर पकड़ लिया।
बताया जा रहा है कि रैकेट से जुड़े उसके साथी और सिंडिकेट के कथित सरगना शुभम जायसवाल के दुबई भागने के बाद आलोक सिंह के विदेश पलायन की आशंका भी बढ़ गई थी। सूत्रों का दावा है कि इस गिरोह को जौनपुर के एक कुख्यात बाहुबली का संरक्षण प्राप्त था और उनके बीच कारोबारी तालमेल भी बना हुआ था। कुछ ही वर्षों में आलोक सिंह ने करोड़ों की संपत्ति खड़ी कर ली थी, जिसे अब एसटीएफ जब्त करने की तैयारी में है।
शुभम के पिता की गिरफ्तारी के बाद बढ़ी कार्रवाई की रफ्तार
बीते रविवार को ही शुभम जायसवाल के पिता भोला प्रसाद को कोलकाता एयरपोर्ट से उस समय हिरासत में लिया गया, जब वह कथित तौर पर थाईलैंड भागने की तैयारी में था। इस घटना के बाद एजेंसियों ने रैकेट से जुड़े अन्य लोगों की निगरानी और कड़ी कर दी थी।
कुर्की की तैयारी और सरेंडर योजना नाकाम
सूत्रों से पता चला है कि आलोक प्रताप सिंह के खिलाफ गैर-जमानती वारंट और उसे भगोड़ा घोषित करने की प्रक्रिया भी तेज कर दी गई थी। इसी दौरान मिली खुफिया सूचना के आधार पर एसटीएफ ने लखनऊ में दबिश देकर उसे पकड़ लिया, जबकि वह अदालत में सरेंडर करने की रणनीति बना रहा था।
मेडिकल फर्म के जरिए तस्करी को दिया गया था स्वरूप
जांच में सामने आया है कि आलोक सिंह की भूमिका कफ सिरप तस्करी नेटवर्क में प्रमुख थी। उसका संपर्क वाराणसी के अमित टाटा से भी जुड़ा था, जिसे एसटीएफ पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है। जांच टीम को पता चला कि अवैध कारोबार को वैध दिखाने के लिए आलोक ने जनवरी 2024 में ‘मां शारदा मेडिकल’ नाम से एक फर्म पंजीकृत कराई थी। फर्म के दस्तावेजों में लाखों रुपये का कारोबार दिखाया गया, जबकि वास्तविकता में इसका इस्तेमाल कथित फर्जी लेन-देन छिपाने के लिए किया जा रहा था।
कफ सिरप की अवैध तस्करी का यह मामला पिछले कई महीनों से चर्चा में है और अब तक इस रैकेट से जुड़े कई बड़े नाम सामने आ चुके हैं। एसटीएफ आगे भी नेटवर्क में शामिल अन्य लोगों की भूमिका की जांच कर रही है।