सोनिया गांधी को लिखे पत्र ने फिर बढ़ाया सियासी पारा,पार्टी नेताओं के बीच मतभेदों का दौर अभी भी जारी

उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और पंजाब कांग्रेस मामलों के प्रभारी हरीश रावत के कंधे से पंजाब कांग्रेस में मचे क्लेश का जिन्न उतर नहीं रहा है। हालांकि उन्होंने पार्टी हाईकमान से उत्तराखंड विधानसभा चुनाव का हवाला देते हुए पंजाब की जिम्मेदारी से मुक्त करने का आग्रह भी किया है लेकिन हाईकमान भी पंजाब कांग्रेस का इलाज उन्हीं के हाथों कराने पर अड़ा है। ताजा घटनाक्रम में हाईकमान ने एक बार फिर उन्हें चंडीगढ़ पहुंचकर विरोधी खेमे से बातचीत करने को कहा है।

नई दिल्ली में पार्टी हाईकमान के सूत्रों के अनुसार पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ लामबंद हो रहे कई विधायकों ने एक बार फिर से बागी तेवर दिखाते हुए पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी से मांग की है कि पंजाब विधायक दल की बैठक बुलाई जाए, जिसमें विधायकों को अपना पक्ष रखने का अवसर मिल सके। पता चला है कि इन विधायकों ने सोनिया गांधी को इस बारे एक पत्र भेजा है, जिसमें कैप्टन के कामकाज पर उंगली उठाते हुए उन्हें मुख्यमंत्री पद से हटाने की मांग की है। इसके साथ ही विधायक दल की बैठक बुलाने के लिए दो पर्यवेक्षकों को चंडीगढ़ भेजने की मांग भी हाईकमान से उठाई है। 

यह भी कहा जा रहा है कि सोनिया गांधी को भेजा गया पत्र कैबिनेट मंत्री तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा ने लिखा है, जिस पर गुरुवार को बाजवा ने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया। दरअसल, चंडीगढ़ में पंजाब कांग्रेस के किसी भी नेता ने ऐसे किसी पत्र की पुष्टि नहीं की है। उधर, हरीश रावत ने बुधवार को नई दिल्ली में सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी से मुलाकात की, जिसे लेकर कहा जा रहा है कि रावत को पंजाब कांग्रेस का मसला जल्द से जल्द हल करने को कहा गया है। हरीश रावत जोकि 18 सितंबर को हरिद्वार से उत्तराखंड चुनाव को लेकर यात्रा शुरू करने वाले हैं, उससे पहले चंडीगढ़ पहुंच सकते हैं। 

सोनिया को पत्र लिखने की बात पर भड़के रंधावा
कैप्टन विरोधी खेमे की ओर से सोनिया गांधी को पत्र लिखे जाने की चर्चा पर गुरुवार को जब कैबिनेट मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा से पत्रकारों से सवाल पूछा तो वह गुस्से में आ गए। उन्होंने सवाल का सीधा जवाब न देते हुए कहा- आप जिन पत्रों की बात कर रहे हैं, मैं इतना ही कहूंगा कि पंजाब की राजनीति को इतना गंदा न करें और राजनेताओं को लोगों के बीच बदनाम न करें।

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