कृषि कानून वापस होना किसानों के संघर्ष की जीत

बुढ़ाना। तीन नए कृषि कानूनों सहित किसानों की अन्य विभिन्न मांगों को लेकर चल रहे किसान आंदोलन को सरकार ने सही मानते हुए किसानों की मांगों को पूरा करने पर अपनी सहमति जता दी है। कुर्बानी और लंबे संघर्ष के बाद मिली सफलता से कस्बा व देहात के किसानों में खुशी की लहर है। गठवाला खाप के गांव फुगाना में हुक्का चौपाल में चर्चा करते हुए चौधरियों ने इसे किसानों की जीत बताया। चौधरियों ने कहा कि किसानों की मांग जायज थी। जिसे मानने के लिए सरकार को अपनी स्वीकृति देनी पड़ी।

तीन नए कृषि कानून सहित किसानों की विभिन्न समस्याओं सहित कई मांगों को लेकर संयुक्त किसान मोर्चे के आह्वान पर किसानों का आंदोलन जारी था। किसानों के 378 दिन के लंबे संघर्ष के बाद सरकार को आंदोलनरत किसानों की मांगों पर विचार करना पड़ा। गठवाला खाप के गांव फुगाना में चौधरी मुकेश मलिक के घेर में आयोजित हुक्का चौपाल में इस मुद्दे को लेकर किसानों में चर्चा हुई। गांव के पूर्व प्रधान चौ. थामसिंह ने कहा कि संयुक्त मोर्चे के सभी मांगे जायज थी। किसान नेताओं ने अपने धैर्य को नही छोड़ा। आखिरकार सरकार को किसानों की मांग माननी पड़ी। चौ. मुकेश ने कहा कि अपनी मांग मनवाने के लिए देश के किसान को लंबा संघर्ष करना पड़ा। किसानों को अपनी मांगों के लिए जान की बलि देनी पड़ी। किसान सच्चाई के मार्ग पर थे। इसी कारण वंश सरकार को किसानों की मांग माननी पड़ी।

चौ. अजीत सिंह ने कहा कि अन्नदाता किसान को अपनी मांगें मनवाने के लिए आंदोलन करने पड़ते हैं। यह बडे़ शर्म की बात है। हरबीर सिंह ने कहा कि किसान को उसकी गन्ने की फसल का भुगतान एक वर्ष बाद मिलता है। यह बहुत गलत है। करोड़ पति व्यापारी अपने माल को नकद बेचते है। गरीब किसान को उसकी फसल का दाम समय पर नही मिलता। अनिल मलिक ने कहा कि किसान आंदोलन की सफलता से देश के किसानों को नई ऊर्जा मिली है। उन्होंने किसानों की मांगों को उचित बताते हुए कहा कि सरकार को उनके आगे झुकने पर मजबूर होना पड़ा। मौके पर चौ. ओमसिंह, कृष्णपाल मलिक मौजूद रहे।

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