रिपब्लिक भारत के जुझारु युवा पत्रकार विकास शर्मा की आकस्मिक मौत ने पत्रकार जगत को हिला दिया था कि अब ‘आजतक’ के प्रखर, तेजस्वी, निर्भीक एवं सत्यनिष्ठ युवा पत्रकार रोहित सरदाना को मात्र 42 वर्ष की अल्पायु में कोरोना का राक्षस लील गया।
हिंदी इलेक्ट्रॉनिक पत्रकारिता में अपने कार्य के प्रति समर्पण भाव और राष्ट्रहित को सर्वोपरि मान कर उन्होंने हिंदी पत्रकारिता को नये आयाम एवं ऊंचाइयां दी। महाभारत के धनुर्धर अर्जुन की भांति उनका एक मात्र अंतिम लक्ष्य जनहित को प्रश्रय देना रहा। एक कुशल जागरूक तथा अति सतर्क एंकर की भूमिका में उन्होंने किसी धुरंधर तेजतर्राक एवं वाक् पटु नेता अथवा प्रवक्ता को चर्चा के मुख्य विषय से इधर-उधर नहीं होने दिया। बिना तंज, कटाक्ष या कटुता के हंसते-हंसते चर्चा में भाग लेने वालों से सच उगलवाना उनकी खास अदा थी। सरदाना हमारे बीच नहीं रहे किंतु करोड़ों दर्शकों की यादों में वे समाये रहेंगे। नयी पीढ़ी के लिए वे सदा प्रेरणापुंज बने रहेंगे। उनको श्रद्धांजलि देने में मन और हाथ कांप रहे है किंतु कठोर सत्य को स्वीकार करना हमारी नियति है। शत – शत नमन !
गोविंद वर्मा
संपादक देहात