डब्ल्यूएचओ ने ओमिक्रॉन कोविड वैरिएंट को लेकर देशों को सतर्क रहने को कहा

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने शनिवार को दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र के देशों से निगरानी बढ़ाने, सार्वजनिक स्वास्थ्य और सामाजिक उपायों को मजबूत करने और टीकाकरण कवरेज को बढ़ाने की अपील की है, क्योंकि कोविड का एक नया वैरिएंट तेजी से उभर रहा है।

कोविड-19 का नया वैरिएंट महामारी के अन्य वैरिएंट के मुकाबले कहीं ज्यादा संक्रामक बताया जा रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे लेकर देशों को आगाह किया है। डब्ल्यूएचओ ने इस वायरस को ग्रीक शब्द के साथ ओमिक्रॉन नाम दिया है।

वैश्विक स्वास्थ्य निकाय ने कहा है कि नया स्ट्रेन वायरस के पिछले म्यूटेंट (उत्परिवर्तन) की तुलना में पुन: संक्रमण का अधिक जोखिम पैदा कर सकता है।

डब्ल्यूएचओ दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र की क्षेत्रीय निदेशक डॉ. पूनम खेत्रपाल सिंह ने एक बयान में कहा, हालांकि हमारे क्षेत्र के अधिकांश देशों में कोविड-19 मामलों में गिरावट आ रही है, मगर दुनिया की अन्य जगहों पर मामलों में वृद्धि हो रही है, जो कि चिंताजनक है। एक नए वैरिएंट की पुष्टि निरंतर जोखिम की याद दिलाती है और इसलिए हमें वायरस से बचाव और इसके प्रसार को रोकने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास जारी रखने की आवश्यकता है।

देशों को निगरानी और अनुक्रमण (सीक्वेंसिंग) बढ़ाना चाहिए। उन्हें सकुर्लेटिंग वैरिएंट्स (परिसंचारी रूपों) और प्रतिक्रिया क्षमताओं पर अपडेटिड जानकारी के आधार पर अंतर्राष्ट्रीय यात्रा के माध्यम से आने वाले लोगों के जोखिम का आकलन करना चाहिए और तदनुसार उपाय करने चाहिए।

क्षेत्रीय निदेशक ने कहा, प्रसारण को रोकने के लिए व्यापक और अनुरूप सार्वजनिक स्वास्थ्य और सामाजिक उपायों को जारी रखना चाहिए।

खेत्रपाल ने जोर देते हुए कहा कि लोगों को सबसे महत्वपूर्ण बात यह करनी चाहिए कि वे वायरस के संपर्क में आने के जोखिम को कम करें – मास्क पहनें और इसे नाक और मुंह को अच्छी तरह से ढकें; दूरी बनाए रखे; जहां हवादार जगह न हो या भीड़-भाड़ वाली जगहों से बचें। इसके साथ ही उन्होंने हाथ साफ रखने, खांसी और छींकते समय मुंह को कवर करने के अलावा टीका लगवाने पर भी जोर दिया।

उन्होंने कहा, अभी तक, क्षेत्र की 31 प्रतिशत आबादी पूरी तरह से टीकाकरण करा चुकी है, 21 प्रतिशत आंशिक रूप से टीकाकरण करा चुकी है, जबकि लगभग 48 प्रतिशत, या लगभग एक अरब लोगों को अभी तक कोविड-19 वैक्सीन की एक भी खुराक नहीं मिली है।

डॉ. खेत्रपाल ने आगाह करते हुए कहा कि जिन लोगों ने वैक्सीन नहीं ली है, उन्हें बीमारी के गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं और इससे संक्रमण और आगे फैलने का खतरा भी बना रहता है।

इसके साथ ही उन्होंने सलाह दी है कि टीका लगवाने के बाद भी, सभी को संक्रमित होने से बचने के सभी प्रयास करने होंगे।

फिलहाल शोधकर्ता यह समझने के लिए काम कर रहे हैं कि यह वैरिएंट कितना पारगम्य (फैल सकने वाला) या विषाणुजनित है, और यह निदान, चिकित्सा विज्ञान और टीकों को कैसे प्रभावित कर सकता है।

बता दें कि यह वैरिएंट सबसे पहले दक्षिण अफ्रीका में पाया गया था। वैज्ञानिकों ने चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि इसकी संक्रमण की दर बहुत तेज हो सकती है और मरीजों में गंभीर लक्षण विकसित हो सकते हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि इस नए वैरिएंट में कई 10 म्यूटेशन हो सकते हैं। म्यूटेट होने का मतलब है कि वायरस के जेनेटिक मटेरियल में बदलाव होना।

वहीं दूसरी ओर फाइजर एंड बायोटेक, मॉडर्ना, जॉनसन एंड जॉनसन और एस्ट्राजेनेका सहित प्रमुख वैक्सीन बनाने वाली कंपनियों ने शुक्रवार को कहा कि वे अपने शॉट्स को वायरस के एक नए और अत्यधिक तेज म्यूटेंट स्ट्रेन के प्रति प्रभावशाली होने के बारे में जांच का काम कर रहे हैं।

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