योगी जी का मुज़फ़्फ़रनगर दौरा- फ्लॉप शो !

17 मई, 2021 को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जनपद मुज़फ़्फ़रनगर में कोरोना की स्थिति का जायज़ा लेने अल्पकालिक दौरे पर यहां आए। योगी जी की कार्य प्रणाली को देखते हुए जनसामान्य को आशा थी कि मुख्यमंत्री के मुज़फ़्फ़रनगर दौरे से कोरोना मरीजों के इलाज और लचर व्यवस्था में सुधार हो कर पीड़ितों को कुछ राहत मिलेगी। यह उम्मीद लगाई जा रही थी कि कोविड अस्पताल घोषित किये गए चिकित्सालयों की लापरवाही और प्राइवेट चिकित्सकों की लूट-खसोट की स्थिति के विषय में मुख्यमंत्री तात्कालिक सकारात्मक आदेश दे कर जख्मों पर मरहम लगायेंगे, अफसोस ऐसा कुछ न हो सका और मुख्यमंत्री का दौरा महज़ रस्म अदायगी- एक फ्लॉप शो ही सिद्ध हुआ।

कोरोना से बिगड़े हुए हालात का तकाजा था कि मुख्यमंत्री को जनप्रतिनिधियों, मीडिया तथा प्रशासन की ओर से वह सब कुछ सच्चाई और बेबाकी के साथ बताया जाता कि किस प्रकार एक विशेष अस्पताल में मरीजों के तीमारदारों को लूटा और पीटा जा रहा है तथा पीपीई ड्रेस में पिस्तौल लहराई जाती है। मुख्यमंत्री की बैठक में राज्यमंत्री कपिल देव अग्रवाल तथा पुरकाजी विधायक प्रमोद ऊटवाल ने अलबत्ता निजी अस्पतालों के महंगे खर्च की ओर ध्यान दिलाया और गरीब जनता का इलाज सरकारी व्यय या अनुदान से कराने की मांग की गई। राज्यमंत्री ने अस्पतालों का ऑडिट कराने का सुझाव भी दिया।

कोरोना प्रोटोकॉल के बहाने जनप्रतिनिधियों को मुख्यमंत्री जी से दूर रखा गया। यहां तक कि मुज़फ़्फ़रनगर पालिका परिषद की अध्यक्ष अंजू अग्रवाल को भी बैठक में प्रवेश नहीं मिला। पालिकाध्यक्ष को रोके जाने का कोई औचित्य ना था; प्रशासन के अधिकारी चाहे जैसे ही स्पष्टीकरण दें। पूर्व भाजपा नगर अध्यक्ष श्रीमोहन तायल ने जनता की पीड़ा ट्वीट के जरिये जरूर रखी थी कि अधिकारी किस कदर बेपरवाह हो चुके हैं जिससे जनता में त्राहि-त्राहि मची है।

जनहित को दृष्टिगत रख इस बैठक में सभी राजनीतिक दलों- सपा, बसपा, रालोद व कांग्रेस के प्रतिनिधियों को अवश्य ही निमंत्रित किया जाना चाहिए था। साथ ही इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष, यूनानी एवं आयुर्वेदिक चिकित्सा बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष डॉ. सुभाष चन्द्र शर्मा, जो सामाजिक संगठन कोरोना काल में सहयोग का हाथ बटा रहे हैं उनके प्रतिनिधियों की भी मुख्यमंत्री से भेंट होनी चाहिए थी।

पूछा जा सकता है की क्या मुख्यमंत्री केवल कोविड कंट्रोल रूम और पुलिस लाइन के अस्पताल के निरीक्षण के लिए ही मुज़फ़्फ़रनगर आए थे? योगी जी ने मीडिया को भी सवाल-जवाब का मौका नहीं दिया, सिर्फ सरकार द्वारा कोरोना काल में उठाये कदमों की जानकारी दी। ऐसे सरकारी आंकड़ों के प्रेस नोट तो रोज ही जारी होते हैं। मुज़फ़्फ़रनगर मीडिया का कर्तव्य था की मुख्यमंत्री जी को बालाजी चौक पर हुई घटना और प्रशासन के रवैये की जानकारी दी जाती। इस चूक से मीडिया पर भी सवाल उठते है।

मुख्यमंत्री का मुज़फ़्फ़रनगर दौरा एक रस्म अदायगी जैसा ही रहा। यहां तक कि सत्तारूढ़ भाजपा के जमीनी स्तर के कार्यकर्ता भी इस दौरे से संतुष्ट नहीं दिखे। उनके यहां आने से क्या प्रयोजन सिद्ध होता है? अब तो फफ़त यही कहा जाएगा –

आये भी वो, गये भी वो
खत्म फ़साना हो गया।

गोविंद वर्मा
संपादक ‘देहात’

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