पंजाब की सियासत में नवजोत सिंह सिद्धू के बढ़ते कद से सीएम अमरिंदर सिंह परेशान हैं. उनकी तरफ से हर कोशिश की जा रही है कि सिद्धू की सक्रियता को कम किया जाए. अब इसी कड़ी में उन्होंने अपने धुर विरोधी प्रताप सिंह बाजवा से हाथ मिलाया है. उन्होंने बाजवा को अपने आवास पर बुलाया है और उनके बीच एक अहम मीटिंग चल रही है. पंजाब विधानसभा के स्पीकर और पुराने कांग्रेसी नेता राणा केपी सिंह भी उस मुलाकात में शामिल हुए हैं.
सिद्धू को रोकने के लिए अमरिंदर का आखिरी दांव
राजनीतिक गलियारों में चर्चा तेज है कि नवजोत सिंह सिद्धू को पंजाब की राजनीति में बड़ा पद मिलने जा रहा है. उन्हें पंजाब कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया जा सकता है. सिद्धू की तरफ से विधायक-मंत्रियों से मिलने का दौर भी शुरू हो चुका है. यहीं वजह है कि अब कैप्टन अमरिंदर सिंह अपना आखिरी दांव चलने का प्रयास कर रहे हैं. वे इस बात को समझते हैं कि प्रताप सिंह बाजवा भी सिद्धू के बढ़ते कद से परेशान हैं, ऐसे में दोनों साथ मिलकर अब पंजाब की राजनीति में होने जा रहे इस बड़े उलटफेर को रोकना चाहते हैं.
बाजवा से मिलाया हाथ, क्या मायने?
अमरिंदर और बाजवा की तरफ से कांग्रेस हाईकमान को संदेश साफ दिया जा रहा है कि पंजाब में पार्टी की बागडोर किसी पुराने कांग्रेसी के हाथ में ही रहनी चाहिए. अभी के लिए नवजोत सिंह सिद्धू को बीजोपी को छोड़े कुछ साल हो चुके हैं, लेकिन फिर भी पार्टी हाईकमान का उनको जरूरत से ज्यादा तवज्जो देना अमरिंदर सिंह को रास नहीं आ रहा है. उनकी नाराजगी इस कदर है कि वे अपने हर विरोधी से इस समय हाथ मिलाने को तैयार दिख रहे हैं. बताया जा रहा है कि पंजाब कांग्रेस में कई ऐसे गुट हैं जो वैसे तो सीएम का विरोध करते हैं लेकिन सिद्धू को रोकने के लिए साथ आ सकते हैं.
हरीश रावत के ट्वीट से दवाब में अमरिंदर?
अब अमरिंदर सिंह की ये रणनीति कितनी सफल रहती है, ये आने वाले दिनों में साफ हो जाएगा. अभी के लिए पंजाब कांग्रेस में कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है. पंजाब प्रभारी हरीश रावत की तरफ से जरूर कहा गया है कि कैप्टन को पार्टी हाईकमान का हर फैसला स्वीकार रहेगा, लेकिन अमरिंदर सिंह की सोनिया गांधी को लिखी गई चिट्ठी को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. जिस चिट्ठी में कैप्टन ने जोर देकर कहा है कि जबरन पंजाब की राजनीति में दखल देने से पार्टी को नुकसान हो सकता है.