पूर्वोत्तर राज्य अरुणाचल प्रदेश की राजधानी ईटानगर स्थित राज्य के सबसे पुराने विश्वविद्यालय के राजीव गांधी विश्वविद्यालय छात्र संघ (RGUSU) की गतिविधियों को स्थिति के सामान्य होने तक निलंबित कर दिया गया है। सोमवार को कुलपति के कार्यालय में छात्रों के द्वारा तोड़फोड़ की सूचना मिली थी।
राजीव गांधी विश्वविद्यालय के जनसंपर्क अधिकारी ने कथित तौर पर बताया कि राजीव गांधी विश्वविद्यालय छात्र संघ से जुड़े छात्रों ने आरजीयू के कुलपति प्रोफेसर साकेत कुशवाहा के कक्ष में सोमवार को तोड़फोड़ की थी। खबरों के मुताबिक, घटना सुबह करीब 11 बजे हुई, जब आरजीयूएसयू के कार्यकारी सदस्य विश्वविद्यालय के मुद्दों पर चर्चा करने के लिए कुलपति के सचिवालय में उनसे मुलाकात के लिए पहुंचे थे।
पीएसओ और कुलपति भी घायल
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, एक सूत्र ने कहा कि विश्वविद्यालय में हॉस्टल प्रीफेक्ट सिस्टम को दोबारा लागू करने की आरजीयूएसयू की मांग को लेकर विवाद हुआ। तोड़फोड़ का कारण कुलपति के रवैये रहा। हालांकि, घटना को लेकर आरजीयू अथॉरिटी ने प्राथमिकी दर्ज कराई है। विश्वविद्यालय के जनसंपर्क अधिकारी (पीआरओ) ने देर शाम जारी एक बयान में दावा किया कि इस घटना में प्रोफेसर कुशवाहा और उनके सुरक्षा अधिकारी (पीएसओ) घायल हो गए। पीआरओ ने बयान जारी कर कहा कि आरजीयूएसयू के सदस्यों से युक्त छात्रों के एक अनियंत्रित समूह ने जबरन कुलपति के कक्ष में दरवाजा तोड़कर प्रवेश किया और कार्यालय में तोड़फोड़ की, जिससे फर्नीचर, उपकरण और अन्य कार्यालय वस्तुओं को व्यापक नुकसान हुआ। हिंसक घटना के दौरान पीएसओ और कुलपति भी घायल हो गए।
छात्रावास प्रीफेक्ट सिस्टम को लेकर चर्चा जारी
पीआरओ ने कहा कि छात्रावास प्रीफेक्ट सिस्टम को लेकर फाइल पर चर्चा की जा रही है और विश्वविद्यालय की स्थापित प्रक्रिया के अनुसार काम किया जा रहा है। पीआरओ ने कहा कि फाइल पर अकादमिक परिषद में चर्चा और सिफारिश की आवश्यकता है जिसे आगे विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषद द्वारा अनुमोदित किया जाना है। वहीं आरजीयू के अधिकारी ने कहा कि विश्वविद्यालय ने एक मुख्य वार्डन, एक समिति द्वारा सहायता प्राप्त प्रत्येक छात्रावास के लिए दो वार्डन नियुक्त करके एक मजबूत प्रणाली के साथ प्रीफेक्ट सिस्टम को प्रतिस्थापित किया था जिसमें एक ही छात्रावास के छात्र-बोर्ड के सदस्य शामिल थे। पीआरओ ने कहा कि बयान में कहा गया है कि छात्रों द्वारा हिंसा का ऐसा प्रदर्शन निंदनीय है और यह जरूरी है कि कानून अपना काम करे।