अथ गाली पुराण वाचनम् (2)

राजनीतिक प्रतिद्वंदता में जिस प्रकार गाली-गलौच, छींटाकशी, अपशब्दों का प्रयोग होने लगा है, वह अतिखेदजनक है राजनीतिक गिरावट का प्रतीक है। हमने पं. जवाहरलाल नेहरू और डॉ. राममनोहर लोहिया के बीच बहस व तर्क वितर्क सुना, इंदिरा गांधी व अटल बिहारी वाजपेयी को भी सुना, कभी कोई अभद्रता या भाषा की मर्यादा का अतिक्रमण सामने नहीं आया किन्तु आज तो गन्दा बोलने की प्रतियोगिता शुरू हो गई हैं। कुछ दलों ने तो छांट-छांट कर ऐसे प्रवक्ता नियुक्त किये हैं जिनका काम ही टी.वी. चैनलों पर तूफान-ए-बदतमीजी क्रिएट करना है।

गूगल ने इंटरनेट पर एक लिस्ट डाली है जिसमें बताया गया है कि कांग्रेस के किस नेता ने, किस तारीख को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को कौन सी गाली दी या क्या अभद्र, अशालीन शब्द कहे। कांग्रेस नेताओं की इस सूचि में सोनिया गांधी, प्रियंका, राहुल, दिग्विजय सिंह, सलमान खुर्शीद, मल्लिकार्जुन खड़गे, जयराम रमेश, शशि थरूर, मणिशंकर अय्यर, अर्जुन मोढवाडिया, बी. नारायणराव, विनायक राव, पवन खेड़ा, राशिद अल्वी, सुशील कुमार शिन्दे, श्याम सुन्दर धीरज, रणदीप सुरजेवाला, महेन्द्रजीत सिंह, इरफान अंसारी, विलासराव मुत्तेमवार, जिग्नेश मेवानी, राजबब्बर, संजय निरुपम, दिव्य स्पन्दन रम्या, आनन्द शर्मा, मनीष तिवारी, प्रमोद तिवारी, इमरान मसूद, सोमा नन्दा पटेल, हुसैन दलवई, रिजवान उस्मानी, शान्ता राम, रेणुका चौधरी, बद्रीप्रसाद वर्मा तथा बी. के हरि प्रसाद आदि बड़े कांग्रेसी नेताओं के नाम शामिल है।

सोनिया, प्रियंका और राहुल ने नेहरू व इंदिरा की कांग्रेस की यह क्या गत बना दी है? वे गाली पुराण बांच कर अपने बुर्जुगों का सम्मान कर रहे हैं या अपमान?

गोविंद वर्मा
संपादक देहात

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