चेन्नई (नॉर्थ) जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने अत्तूर टोल प्लाजा पर हुई गलती के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) को 10,000 रुपये क्षतिपूर्ति देने का आदेश दिया है। यह फैसला उस मामले में आया, जिसमें प्लाजा कर्मचारियों ने एक वाहन से गलत तरीके से दोबारा टोल वसूल किया और 70 रुपये अतिरिक्त दंड भी लिया। अधिकारियों ने कहा कि फास्टैग में बैलेंस पर्याप्त था, लेकिन प्लाजा का स्कैनर खराब होने के कारण कर्मचारियों ने गलत जानकारी दी।
शिकायत वकील यू. अजहरूद्दीन ने बताया कि उनके मित्र का परिवार 20 फरवरी 2025 को इरोड से चेन्नई जा रहा था। सुबह 3:06 बजे वाहन अत्तूर टोल पर रोका गया, जहां कर्मचारियों ने ‘नो बैलेंस’ दिखाते हुए 140 रुपये वसूले। हालांकि फास्टैग में उस समय 863 रुपये मौजूद थे।
आयोग ने पाया कि कर्मचारियों ने बैलेंस मैन्युअली जांचने के बजाय “व्यर्थ बहस” की, जिससे परिवार को सार्वजनिक रूप से शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा। आयोग ने यह भी नोट किया कि टोल प्लाजा का ऑटोमैटिक सिग्नल ठीक से काम नहीं कर रहा था और कर्मचारियों को इसकी जानकारी थी।
राष्ट्रीय राजमार्ग शुल्क नियम (2008) के अनुसार, यदि इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन (ETC) सिस्टम विफल हो जाए, तो पर्याप्त बैलेंस वाले वाहन को बिना भुगतान के पार किया जाना चाहिए और ‘जीरो ट्रांजैक्शन रसीद’ देना अनिवार्य है। अत्तूर टोल पर यह प्रक्रिया अपनाई नहीं गई।
NHAI द्वारा कानूनी नोटिस का जवाब न देने और आयोग में उपस्थित न होने के कारण मामला एक्स-पार्टी सुना गया। आयोग ने इसे सेवा में गंभीर कमी माना और NHAI को 10,000 रुपये क्षतिपूर्ति और 5,000 रुपये मुकदमे की लागत दो महीने के भीतर अदा करने का आदेश दिया। देरी होने पर 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज लगाया जाएगा।