आयकर विभाग की सख्ती और डेटा एनालिटिक्स के प्रभाव ने करदाताओं के व्यवहार में बड़ा बदलाव लाया है। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) की निगरानी और 'नज अभियान' के चलते, मौजूदा असेसमेंट ईयर 2025-26 के लिए 15 लाख से अधिक करदाताओं ने अपनी गलतियों को सुधारते हुए रिवाइज्ड रिटर्न दाखिल किया। विभाग ने चेतावनी दी है कि रिटर्न सुधारने की अंतिम तारीख 31 दिसंबर, 2025 है। इसके बाद गलती सुधारना संभव तो होगा, लेकिन वह महंगा पड़ सकता है।
करदाताओं में अनुपालन की गंभीरता बढ़ी
आयकर विभाग के आंकड़ों के अनुसार, चालू वित्त वर्ष में 21 लाख से अधिक करदाताओं ने अपडेटेड रिटर्न (ITR-U) दाखिल किया है। इसके माध्यम से सरकार के खजाने में लगभग 2,500 करोड़ रुपये का अतिरिक्त टैक्स जमा हुआ है।
सीबीडीटी के डेटा विश्लेषण में सामने आया कि बड़ी संख्या में करदाताओं ने टैक्स बचाने के लिए गलत तरीके अपनाए। इसी के आधार पर 'नज अभियान' शुरू किया गया, जिसके तहत ऐसे करदाताओं को ईमेल और एसएमएस के जरिए चेतावनी दी गई, जिन्होंने गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को चंदा देकर गलत डिडक्शन क्लेम किया।
सावधान रहें: 31 दिसंबर तक करें सुधार
विभाग ने कहा है कि करदाताओं को अपने ITR की समीक्षा करनी चाहिए। यदि किसी ने गलत डिडक्शन या छूट क्लेम की है, तो उसे 31 दिसंबर, 2025 तक रिवाइज्ड रिटर्न दाखिल कर देना चाहिए। इस तारीख के बाद केवल अपडेटेड रिटर्न (ITR-U) दाखिल किए जा सकेंगे, जिसमें अतिरिक्त ब्याज और जुर्माना लग सकता है।
टैक्स विशेषज्ञों का सुझाव है कि अगर किसी करदाता को विभाग से कोई नोटिस नहीं भी मिला है, तो भी वे अपने सेक्शन 80G (डोनेशन) या राजनीतिक चंदे से जुड़े क्लेम को एक बार क्रॉस-वेरिफाई कर लें। 31 दिसंबर के बाद गलती सुधारना जटिल और महंगा हो सकता है।