उत्तर प्रदेश के देवबंद में जमीयत उलमा-ए-हिंद की सद्भावना संसद में शनिवार को आपसी भाईचारे और एकता का मनमोहक दृश्य देखने को मिला। एक दूसरे का हाथ, हाथ में लिए सर्वधर्म के लोगों ने नफरत मिटाओ मोहब्बत लाओ का नारा दिया तो सभी में नई उर्जा का संचार हुआ। धर्मगुरुओं ने कहा कि हिंदू और मुसलमान दोनों की व्यवस्थाओं के मेलजोल से भारत का समाज बना है। इस तानेबाने को ओर अधिक मजबूत करने की दिशा में जमीयत का यह कदम बेहद सराहनीय है।
जमीयत उलमा-ए-हिंद (मौलाना महमूद मदनी गुट) की ओर से सद्भावना मंच के बैनर तले शनिवार को देवबंद के महमूद हॉल में आयोजित हुई सद्भावना संसद में दोनों समुदाय के गुरुओं ने सद्भाव स्थापित करने पर जोर दिया। बंगाल सरकार के केबिनेट मंत्री मौलाना सिद्दीकउल्लाह चौधरी ने कहा कि डॉक्टर कभी किसी का धर्म पूछकर इलाज नहीं करते। उसी तरह स्कूल-कॉलेजों में टीचर भी बच्चों का धर्म देखकर उन्हें तालीम नहीं देते हैं। उनके लिए सब बराबर होते हैं।
वर्तमान में हमें डॉक्टर और टीचर वाली सोच की जरुरत है। क्योंकि हमारे हिंदुस्तान को किसी की नजर लगी हुई है। उन्होंने कहा कि हिंदुस्तान तरह तरह के फूलों का गुलदस्ता हैं। जिसे यहां रहने वाले अलग अलग धर्मों के लोगों ने सजाया हुआ है। श्री त्रिपुर मां बाला सुंदरी देवी मंदिर सेवा ट्रस्ट के अध्यक्ष पंडित सतेंद्र शर्मा ने जमीयत की इस पहल की प्रशंसा करते हुए कहा कि समय समय पर इस प्रकार के कार्यक्रम होते रहने चाहिए। क्योंकि इससे आपसी सौहार्द को बल मिलता है।
धर्मगुरुओं ने कहा कि देवबंद नगर हिंदू मुस्लिम एकता की मिसाल से प्रसिद्ध है और उसकी यह मिसाल आगे भी बनी रहेगी। यहां से उठने वाली आवाज पूरी दुनिया में जाती है। उम्मीद है कि जमीयत की इस पहल के भविष्य में अच्छे परिणाम आएंगे।
जमीयत उलमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय महासचिव मौलाना हकीमुद्दीन कासमी ने कहा कि सद्भावना संसद में दोनों समुदाय के लोग बराबर बराबर साथ रहे। जिसकी बेहद खुशी है। हिंदुस्तान को इसी मजबूत साथ की जरुरत है। उन्होंने कहा की जल्द ही देवबंद में एक मार्च निकाला जाएगा। जिसमें सर्वधर्म के लोग शामिल होंगे। ताकि पूरी दुनिया में एकता और भाईचारे का संदेश जा सके। इससे पूर्व धर्मगुरुओं का बुके भेंट कर स्वागत किया गया।