महान् विभूति स्वामी कल्याण देव महाराज !

शिक्षा ऋषि स्वामी कल्याण देव महाराज की 21 जून को पौराणिक तीर्थ शुक्रताल तथा अन्य अनेक स्थानों में 145वीं जयंती श्रद्धापूर्वक मनाई गई। स्वामी जी का समाजसेवाओं तथा उनके सद्गुणों का वर्णन 10-20 पंक्तियों अथवा 50-100 पृष्ठों में करना संभव नहीं। मैं यहां महाराज जी से संबंधित एक संस्मरण को याद कर रहा हूं।

मेरठ जनपद के ग्राम सिरसली निवासी जय नारायण ‘प्रकाश’ लेखपाल (पटवारी) पद पर नियुक्त थे। वे अनेक वर्षों तक ‘देहात प्रेस’ के प्रबंधक भी रहे और अखबार ‘देहात’ में लेखन तथा संपादन कार्य भी करते थे; स्वामी जी महाराज में अटूट आस्था रखते थे। बात उन दिनों की है जब स्वामी जी रामपुर तिराहे पर आयुर्वेदिक कॉलेज की स्थापना हेतु जमीन और धन जुटाने में तत्पर थे। महाराज जी ने पटवारी जी को संदेश भेजा कि उन्हें उनके साथ ग्राम रामपुर तथा अन्य ग्रामों में चलना है। पटवारी जी स्वामी जी के साथ कार में बैठकर रामपुर की ओर चल दिए। महाराज जी जनसंपर्क में आवश्यक होने पर श्री सोमांश प्रकाश जी पूर्व विधायक की कार इस्तेमाल करते थे।

रामपुर से कुछ पहिले स्वामी जी ने कार रुकवाई और उतर कर पैदल गांव की ओर चल पड़े। पटवारी जी को जिज्ञासा हुई कि पैदल क्यूं जा रहे हैं?

दस-बीस कदम चलने पर महाराज जी रुके और जय नारायण जी से बोले- ‘तुम सोच रहे होंगे कि हम पैदल चल कर गांव में क्यूं जा रहे हैं।’ वास्तव में पटवारी जी सोच भी यही रहे थे। स्वामी जी बोले- ‘देखो भाई, हम याचक के रूप में गांव में कुछ मांगने जा रहे हैं। भले ही कार सोमांश जी की हो लेकिन मांगने वाले फ़कीर के लिए कार में बैठकर मांगना शोभनीय नहीं है।’

गांव वालों ने कॉलेज स्थापना के लिए जमीन और भरपूर पैसा दिया। महाराज जी की लौकिक दृष्टि भी विलक्षण थी, तभी तो उन्होंने सैकड़ों की संख्या में विद्यालय स्थापित कर दिये और शिक्षा ऋषि कहलाये। ऐसे महान् पुण्य आत्मा को हमारा कोटि-कोटि नमन !

गोविंद वर्मा
संपादक देहात

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