90 वर्ष के हुए दलाई लामा, प्रधानमंत्री मोदी ने दी जन्मदिन की शुभकामनाएं


तिब्बत के आध्यात्मिक गुरु और शांति के प्रतीक दलाई लामा ने आज अपना 90वां जन्मदिन मनाया। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें हार्दिक बधाई देते हुए उनके दीर्घायु और उत्तम स्वास्थ्य की कामना की। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर प्रधानमंत्री ने दलाई लामा को करुणा, प्रेम, संयम और नैतिकता का प्रतीक बताया और कहा कि 140 करोड़ भारतीयों की ओर से वे उनके लिए शुभकामनाएं प्रकट करते हैं।

भारत में भी मनाया गया जन्मोत्सव
दलाई लामा का जन्मदिन भारत में भी श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया गया। हिमाचल प्रदेश के शिमला के समीप डोरजिडक मठ में रविवार सुबह विशेष प्रार्थना सभाएं आयोजित की गईं। एक दिन पहले धर्मशाला में भव्य समारोह आयोजित हुआ, जिसमें बीजेपी नेता विजय जॉली, जेडीयू के सांसद राजीव रंजन सिंह (ललन सिंह) सहित कई प्रमुख राजनेता उपस्थित रहे। धर्मशाला ही दलाई लामा का स्थायी निवास भी है।

शुरुआत से ही दिखी थी आध्यात्मिक महानता
दलाई लामा का वास्तविक नाम तेनजिन ग्यात्सो है। उनका जन्म 6 जुलाई 1935 को तिब्बत के ताक्सर गांव में हुआ था। केवल दो वर्ष की उम्र में उन्हें 13वें दलाई लामा का पुनर्जन्म माना गया और 1940 में उन्हें तिब्बत के सर्वोच्च आध्यात्मिक पद पर अभिषिक्त किया गया। छह वर्ष की आयु से उन्होंने पारंपरिक बौद्ध शिक्षा ग्रहण करना आरंभ किया।

कौन होते हैं दलाई लामा?
‘दलाई लामा’ शब्द मंगोल भाषा से लिया गया है, जिसका अर्थ है ‘ज्ञान का महासागर’। तिब्बती बौद्ध धर्म में यह माना जाता है कि दलाई लामा करुणा के बोधिसत्व के अवतार होते हैं, जो अपनी आत्ममुक्ति को स्थगित कर संसार की सेवा के लिए लौटते हैं। वे तिब्बत के आध्यात्मिक और धार्मिक नेतृत्व के सर्वोच्च प्रतीक होते हैं।

चीन की घुसपैठ के बाद भारत आए थे दलाई लामा
1950 में जब चीन ने तिब्बत पर सैन्य कार्रवाई की, तब दलाई लामा को राजनीतिक जिम्मेदारी निभानी पड़ी। 1959 में तिब्बत में व्यापक जनविद्रोह को दबा दिए जाने के बाद उन्हें लगभग 80 हजार तिब्बतियों के साथ भारत में शरण लेनी पड़ी। तभी से वे भारत में निवास कर रहे हैं और अहिंसा, प्रेम और सहिष्णुता के संदेश को वैश्विक स्तर पर प्रचारित कर रहे हैं।

विश्वभर में शांति और मानवता के दूत
दलाई लामा को विश्व समुदाय शांति, करुणा और सहनशीलता के प्रतीक के रूप में देखता है। वे धर्म, जाति और राजनीति की सीमाओं से परे मानवता की बात करते हैं। भारत में रहते हुए उन्होंने कभी टकराव का रास्ता नहीं चुना, बल्कि हमेशा संवाद और शांति की वकालत की है। उनका मानना है कि आज के समय में मानवता के लिए सबसे जरूरी मूल्य हैं – प्रेम, धैर्य और सहअस्तित्व। इसी सोच के चलते उन्हें हर देश और संप्रदाय में व्यापक सम्मान प्राप्त है।

Read News: ‘दादू ठीक हो जाएं’… मिष्टी की प्रार्थना बाबा केदार तक पहुंचाने 16 किमी चला डाकिया

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here