नई दिल्ली। भारतीय नौसेना के एक वरिष्ठ अधिकारी द्वारा जकार्ता में दिए गए बयान से राजनीतिक हलकों में हलचल मच गई है। अधिकारी ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के शुरुआती चरण में वायुसेना को पाकिस्तानी सैन्य ठिकानों को निशाना बनाने की अनुमति नहीं थी, जिसके कारण कुछ लड़ाकू विमान खोए गए। यह निर्देश आतंकवादी अड्डों तक ही सीमित कार्रवाई के तहत दिया गया था।
यह बयान इंडोनेशिया की राजधानी में एक विश्वविद्यालय में आयोजित सेमिनार के दौरान दिया गया, जिसके बाद विपक्ष ने केंद्र सरकार पर तीखे सवाल दागे। कांग्रेस पार्टी ने इस बयान को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जवाब मांगते हुए गंभीर आरोप लगाए हैं। वहीं, जकार्ता स्थित भारतीय दूतावास ने स्पष्टीकरण जारी करते हुए कहा है कि अधिकारी के वक्तव्य को संदर्भ से काटकर पेश किया गया है।
क्या कहा था कैप्टन शिव कुमार ने?
कैप्टन शिव कुमार ने 10 जून को जकार्ता में आयोजित एक संगोष्ठी में भारत-पाकिस्तान के हवाई संघर्ष और रणनीतिक दृष्टिकोण पर चर्चा करते हुए कहा कि राजनीतिक निर्देशों के कारण वायुसेना को शुरुआती कार्रवाई में सीमित लक्ष्य दिए गए थे। उन्होंने कहा, “हमने कुछ विमान खोए क्योंकि उस समय हमें पाकिस्तानी सैन्य प्रतिष्ठानों को निशाना बनाने की अनुमति नहीं थी। लेकिन बाद में रणनीति में बदलाव किया गया और दुश्मन के वायु रक्षा तंत्र को नष्ट किया गया।”
उन्होंने यह भी बताया कि संशोधित रणनीति के तहत भारतीय वायुसेना ने सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों और ब्रह्मोस जैसी अत्याधुनिक मिसाइलों का उपयोग कर लक्ष्यों को प्रभावी ढंग से ध्वस्त किया।
कांग्रेस का केंद्र सरकार पर हमला
इस बयान के सामने आने के बाद कांग्रेस ने केंद्र सरकार से तीन प्रमुख सवाल पूछे हैं। पार्टी ने आरोप लगाया कि अगर राजनीतिक निर्णयों के कारण ऑपरेशन में नुकसान हुआ, तो इसकी ज़िम्मेदारी तय होनी चाहिए। कांग्रेस ने पूछा:
- प्रधानमंत्री सर्वदलीय बैठक बुलाने से क्यों कतरा रहे हैं?
- संसद का विशेष सत्र क्यों नहीं बुलाया गया?
- सरकार जनता से क्या छुपा रही है?
पार्टी ने यह भी याद दिलाया कि इससे पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान भी ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय वायुसेना को हुए नुकसान की पुष्टि कर चुके हैं।
भारतीय दूतावास का स्पष्टीकरण
बढ़ते विवाद के बीच, इंडोनेशिया स्थित भारतीय दूतावास ने सोशल मीडिया पर एक बयान जारी करते हुए कहा कि अधिकारी की टिप्पणी को तोड़-मरोड़कर प्रस्तुत किया गया है। दूतावास ने स्पष्ट किया, “भारतीय सशस्त्र बल पूरी तरह से लोकतांत्रिक व्यवस्था के अंतर्गत कार्य करते हैं और ऑपरेशन सिंदूर आतंकवाद से लड़ने की लक्षित कार्रवाई थी, न कि किसी प्रकार की आक्रामक पहल।”
गौरतलब है कि 7 मई की रात भारतीय सेना ने पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को अंजाम दिया था। इस दौरान पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) और सीमा पार स्थित आतंकी अड्डों को निशाना बनाया गया। इसके जवाब में पाकिस्तान की ओर से ड्रोन और मिसाइलों के ज़रिए हमला करने की कोशिश की गई, जिसे भारतीय सेना ने सफलतापूर्वक विफल किया। आखिरकार 10 मई को दोनों देशों ने संघर्ष विराम पर सहमति जताई।
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