जेएसएसयू और विभिन्न छात्र संगठनों से किया झारखंड बंद का एलान

झारखंड राज्य छात्र यूनियन (जेएसएसयू) और अन्य विभिन्न संगठनों ने मिलकर शनिवार को 48 घंटे का झारखंड बंद का एलान किया है। यह बंद स्थानीय लोगों को सरकारी नौकरी में 100 फीसदी आरक्षण देने की मांग में रखा गया है। 

झारखंड के आदिवासी आइकन बिरसा मुंडा के पुण्यतिथि पर शुक्रवार की शाम को छात्र संगठन विभिन्न जिलों में टॉर्चलाइट जुलूस निकालेंगे। 

जेएसएसयू के नेता देवेंद्र महतो ने कहा- हम यह टॉर्चलाइट जुलूस राज्य सरकार को हमारे हिरो बिरसा मुंडा द्वारा झारखंड के लिए देखे गए सपने को याद दिलाने के लिए निकालेंगे। सरकारी नौकरी के लिए हमारी सरकार ने झारखंड के दरवाजे बाहरी लोगों के लिए खोल रखे हैं, जिसमें हमें अनुमति नहीं दी गई है। इसलिए हमने 48 घंटों के लिए झारखंड बंद बुलाया है जो कि 10 जून को शुरू होगा। 

इससे पहले जेएसएसयू ने इस मुद्दे पर अप्रैल में 72 घंटे का अभियान चलाया था और 19 अप्रैल को भी झारखंड बंद रखा गया था। महतो ने कहा कि उन्होंने झारखंड में ट्रांसपोर्ट और ट्रेडर्स संघों से भी इस बंद का समर्थन करने की अपील की है। उन्होंने कहा- यह केवल हमारी लड़ाई नहीं है, यह झारखंड के बच्चों का भविष्य सवारने का एक संघर्ष है, जिनके अधिकार बाहर वालों को दे दिया जाता है। 

उन्होंने आरोप लगाया कि 60-40 के अनुपात में नौकरी के विज्ञापन जारी किए जा रहे हैं। महतो ने दावा किया कि सरकार ने 1932 के खतियान (भूमि बंदोबस्त) के आधार पर रोजगार नीति का वादा किया था, लेकिन उन्होंने 2016 से पहले एक रोजगार नीति पेश की जिसमें वंचित छात्रों के लिए 60 फीसदी सीटें आरक्षित रखी गई, जबकि 40 फीसदी सभी के लिए खुला रहेगा। 

राज्य कैबिनेट ने तीन मार्च को झारखंड स्टाफ सेलेक्शन कमिटी की परीक्षाओं से जुड़े विभिन्न नियमों में संशोधन को मंजूरी दी थी। उन्होंने कहा कि झारखंड बंद 31 दिन के महा जन आंदोलन का ही हिस्सा है। महा जन आंदोलन की शुरूआत 10 मई को की गई थी। 

महतो ने दावा किया कि उन्होंने कुल 72 विधायकों से मुलाकात की, जिसमें 42 सत्तारूढ़ पार्टी और 13 सांसदों ने हमारे पक्ष में अपना समर्थन दिया और नौकरी के 60-40 अनुपात का विरोध किया है।

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