कश्मीर के बिगड़ते हालात !

समाचार है कि शनिवार 7 नवंबर 2020 को सुरक्षाबलों ने कुपवाड़ा के माछल क्षेत्र में नियंत्रण रेखा पार कर कश्मीर में घुसपैठ कर रहे आतंकियों के समूह के साथ मुठभेड़ में तीन आतंकी ढेर कर दिये गए। पाकिस्तानी घुसपैठ को विफल करने के प्रयास में सेना के लेफ्टिनेंट सहित चार सैनिक शहीद हो गए। दूसरी ओर घुसपैठियों तथा कश्मीर में अपने गुर्गों का मनोबल बढ़ाने के उद्देश्य से कठुआ जिले के हीरानगर क्षेत्र में पाकिस्तान ने कई भारतीय ठिकानों पर गोलीबारी की।

ये घटनायें दर्शाती है कि कश्मीर घाटी और सीमा पर स्थिति ठीक नहीं है। पाकिस्तान द्वारा दशकों पहले शुरू किये गए अघोषित युद्ध के साथ ही घाटी के भीतर भी स्तिथि को गंभीर तथा बेकाबू बनाने की लगातार कोशिशें हो रही हैं। अब्दुल्ला व मुफ्ती परिवार पाकिस्तान के एजेंडों को बढ़ाने को एडीचोटी का ज़ोर लगा रहे हैं।

जम्मू कश्मीर और लद्दाख को पाकिस्तानी उपनिवेश बनाने में और लम्बे समय तक सत्ता का अपभोग करने वाले दो कश्मीरी परिवारों को अनुच्छेद 370 हटने से बड़ी छटपटाहट है। अब्दुल्ला तथा मुफ्ती खानदानों के नेता घाटी के अलगाववादी तत्वों एवं पाकिस्तानी गुर्गों को साथ लेकर फिर से माहौल ख़राब करने और पाकिस्तान समर्थक तत्वों को एकजुट करने में लगे हैं।

फारुख अब्दुल्ला, उनके बेटे उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती रिहाई के बाद कश्मीर के बाशिंदों की दुहाई देकर देश की अस्मिता तथा सार्वभौमिकता को सीधे चुनौती दे रहे हैं और कश्मीरी मुस्लिमों को भारत के विरुद्ध भड़कने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। मुफ्ती परिवारों की भड़काऊ हरकतों का दुष्प्रभाव न केवल कश्मीर के एक संप्रदाय के लोगों पर पड़ रहा है, वरन् पूरे देश मे इसकी प्रतिक्रिया हो रही है। यद्यपि सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि अनुच्छेद 370 की वापसी कतई संभव नहीं है किन्तु घाटी में अब्दुल्ला मुफ्ती परिवारों को खुराफात व पाकिस्तानी आतंकियों व एजेंटों की हरकतों पर लगाम नहीं लगा पा रही है। 5 नवंबर 2020 को आतंकियों ने शोपियां में जम्मू कश्मीर बैंक की वैन पर धावा बोल कर 60 लाख रूपये लूट लिए। दूसरी ओर आतंकियों ने त्राल निवासी मौहम्मद अयूब नामक दुकानदार की हत्या कर दी। इसी दिन कश्मीर के काकापारा में आतंकियों ने सुमो चालक मौहम्मद असलम को गोली मार दी। आतंकवादी सुरक्षाबलों पर हमला करने से बाज नहीं आ रहे हैं। आये दिनों सुरक्षाबलों और आतंकियों की मुठभेडें होती रहती हैं। बृहस्पतिवार को पाम्पोर में हुई मुठभेड़ में दो आतंकी मारे गए। अब्दुल्ला मुफ्ती परिवारों की मदद को पाकिस्तान प्रतिदिन युद्धविराम का उल्लंघन कर रहा है। फारुख 85 बरस की उम्र में जवानों की तरह भारत सरकार से भिड़ने और महबूबा तिरंगे का अपमान करने वाले राष्ट्रद्रोही बयानों को अपनी सभाओं में दोहरा रहे हैं।

देश में कश्मीर के दोनों परिवारों की राष्ट्रविरोधी हरकतों से रोष है। भारतीय सेना, भारतीय प्रशासनिक सेवा व आईपीएस तथा पूर्व न्यायिक अधिकारियों के 267 लोगों के समूह ने भारत सरकार से आग्रह किया है कि राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करने पर राष्ट्रीय संप्रभुता व अखंडता अधिनियम 1971 के तहत महबूबा मुफ्ती के विरुद्ध कानूनी कार्यवाही की मांग की है।

ऐसा नहीं कि सरकार जम्मू कश्मीर की स्तिथि से वाक़िफ नहीं है किन्तु स्तिथि बद से बदतर होने से पहले ही हालात पर काबू पाना जरूरी है। इतिहास गवाह है कि भारत के गद्दारों, देशद्रोहियों के कारण बहुत संत्रास भोगा है अब ऐसा नहीं होना चाहिये। देशद्रोहियों का सिर कुचलने के लिए सरकार को सही मौके पर सही कदम उठाना चाहिए। यही राष्ट्र धर्म है।

गोविन्द वर्मा
संपादक ‘देहात’

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