बिजली हड़ताल से सबक !

14 से 16 मार्च 2023 तक की बिजली कर्मचारियों की हड़ताल से 25 करोड़ की आबादी वाले उत्तर प्रदेश में आमजन बुरी तरह हलकान रहे। सामान्य नागरिक से लेकर, छात्र, परीक्षार्थी, अस्पतालों में भर्ती मरीज़, दुकानदार, व्यापारी, कारखाने दार, श्रमिक और दिहाड़ी मज़दूर तक परेशान -पीड़ित रहे।

यदि इलाहाबाद हाईकोर्ट बिजली हड़ताल के प्रति गम्भीर रुख न अपनाता तो करोड़ों उत्तर प्रदेशवासियों को लम्बे समय तक परेशानियों से जूझना पड़ता। अधिवक्ता विभुराय की याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट के कार्यकारी मुख्य न्यायधीश जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर एवं जस्टिस एस.डी. सिंह की पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार के अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल से पूछा कि हड़ताल से कितनी आर्थिक हानि हुई है तो उन्होंने बताया कि उपभोक्ताओं एवं सरकार को अब तक 20 हजार करोड़‌ रुपये की हानि हो चुकी है। पीठ ने पूछा कि हड़ताली कर्मचारियों के नेताओं को अभी तक क्यों गिरफ्तार नहीं किया गया? कर्मचारी यूनियन के अधिवक्ता को फटकारते हुए अदालत ने कहा कि उनके आंदोलन से बिजली उपभोक्ताओं व सरकार को कितनी हानि व परेशानी होती है, इसका क्या उन्हें आभास नहीं है। आप की हड़ताल से आम लोग परेशान हैं, विद्यार्थी परेशान हैं, अस्पतालों के मरीज परेशान हैं। अदालत ने बिजली कर्मचारियों के अधिवक्ता से कहा- हड़ताल से जो हानि हुई है, उसकी भरपाई बिजली कर्मचारियों के वेतन व भत्तों से क्यूं न की जाए? पीठ ने कर्मचारियों के वकील से यह भी कहा कि भविष्य में लोगों को ऐसी परेशानी में नहीं डाला जायगा, इसका आश्वासन दें किन्तु यूनियन के अधिवक्ता ने कोई जवाब नहीं दिया।

न्यायालय ने सरकारी वकील से भी नाराजगी जताई कि न्यायालय के आदेश के बावजूद जनता को असुविधा से बचाने को दृढ़ वैकल्पिक प्रबंध नहीं किये। दूसरी ओर उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने नियामक आयोग के चेयरमैन आर. पी. सिंह को पत्र देकर मांग की है कि उपभोक्ताओं को हड़ताल से 700 करोड़ रुपये की हानि हुई है। इस धनराशि को उपभोक्ताओं के बिजली बिलों से घटाया जाए।

महंगाई का शोर और हड़ताल का दबाव डालकर कर्मचारी वेतन-भत्ते बढ़वाने में माहिर हैं। संयुक्त कर्मचारी संघर्ष समिति के संयोजक शैलेन्द्र दुबे ने खम ठोक कर सरकार को चुनौती दी थी कि हम भागे नहीं, लखनऊ में ही हैं, ज़रा हमें हाथ लगा के दिखाओ। एक नेता ने यह भी कहा कि बिजली कर्मचारियों को मुफ्त बिजली चाहिए। जैसे किसान यूनियन के लोग बिजली मीटर उखाड़ रहे हैं, ऐसे ही तुम भी अपने घरों के मीटर उतरवा दो।

सब जानते है कि हर वर्ष अरबों रुपये का लाइन लॉस भ्रष्ट तत्वों की मिलीभगत से होता है। खम्भे से फाल्ट होने पर ठीक करना विभाग की जिम्मेदारी है किन्तु 50-100 की भेंट पूजा बिना लाइन नहीं जुड़ती। बिजली चोर मूंछों पर ताव देकर सरकार को मुंह चिढ़ाते हैं, और ईमानदार उपभोक्ताओं को भ्रष्ट, बिजली चोरों का भार बढ़े बिजली मूल्य के रूप में उठाना पड़ता है। हालत यह बन चुकी है कि एक मीटर रीडर 100 बीघा भूमि के काश्तकार के मुकाबले शानदार जीवन जीता है।

अब समय आ गया है जब सरकार को ब्लैकमेलिंग व रिश्वतखोरी की तिकड़मों से आमजन को बचाना पड़ेगा।

गोविंद वर्मा
संपादक ‘देहात’

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