पाकिस्तानी में सियासी खींचतान खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। पाकिस्तान के पूर्व मंत्री इमरान खान ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की है। खान ने सरकार द्वारा लागू किए गए अनुच्छेद 245 के खिलाफ याचिका लगाते हुए इसे अघोषित मार्शल लॉ कहा है। बता दें, पाकिस्तान के कानून के अनुसार, देश की रक्षा के लिए नागरिक प्रशासन की सहायता के लिए सेना को बुलाने के लिए धारा 245 लगाया जाता है।
यह है पूरा मामला
पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, पीटीआई नेता इमरान खान ने अपनी याचिका में प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ, पीएमएल-एन चीफ नवाज शरीफ, उनकी बेटी मरियम नवाज, पूर्व राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी, विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी, मौलाना फजलुर रहमान सहित अन्य लोगों पर आरोप लगाया है। खान ने याचिका में कहा कि सेना अधिनियम 1952 के तहत नागरिकों की गिरफ्तारी, जांच करना और केस दर्ज करना असंवैधानिक है। खान ने कहा कि पीटीआई को जबरन खत्म करने की कोशिश करना पूर्ण रूप से असंवैधानिक है। यह संविधान के अनुच्छेद 17 के खिलाफ है। बता दें, पाकिस्तानी सरकार ने पंजाब, खैबर-पख्तूनख्वा, बलूचिस्तान और इस्लामाबाद में अनुच्छेद 245 लागू किया था, जिसका विरोध करते हुए खान ने सुप्रीम कोर्ट में सरकार के फैसले को चुनैती दी है।
पीएम शरीफ ने लगाए आरोप
इमरान ने सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया है कि नौ मई को देश के अलग-अलग इलाकों में हुई हिंसा की जांच के लिए एक जांच आयोग का गठन किया जाए। खान का कहना है कि सब कुछ पहले से ही तय था। पाकिस्तान के पीएम ने कहा कि नौ मई को हुई हिंसा में हमलावरों ने देश के विचार और पहचान पर हमला किया है। हमलावरों ने देश के दुश्मनों को जश्न मनाने का कारण दिया है। नौ मई को ट्वीट करते हुए शरीफ ने कहा कि जिन लोगों ने हिंसा की योजनाएं बनाई थी, वह बेहद खतरनाक है। देश में जो कभी नहीं हुआ, वह सत्ता की लालसा में कुछ लोगों ने कर दिखाया। शरीफ ने कहा कि जो भी पाकिस्तान की नींव को नष्ट करना चाहते हैं, ऐसे लोगों की हमें पहचान करनी होगी और उन्हें बेनकाब करना होगा।
नौ मई को यह हुई थी हिंसा
पाकिस्तान सरकार के आदेश पर नौ मई को खान को गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद पीटीआई कार्यकर्ताओं ने जिन्ना हाउस, मियांवाली एयरबेस, आईएसआई भवन सहित एक दर्जन सैन्य प्रतिष्ठानों में तोड़फोड़ की थी। रावलपिंडी के सैन्य मुख्यालय पर भी भीड़ ने हमला किया था। पुलिस के अनुसार, हिंसा में करीब 10 लोगों की मौत हुई थी। वहीं पीटीआई का दावा है कि सुरक्षाबलों की फायरिंग में उनके पार्टी के करीब 40 लोगों की मौत हो गई। सुरक्षाबलों ने इसके बाद कई पीटीआई कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया, जिनमें कई पूर्व मंत्री भी शामिल थे।