बस्तर रेंज में माओवादी हिंसा के खिलाफ चल रही पहल “पूना मारगेम: पुनर्वास से पुनर्जीवन” ने एक और महत्वपूर्ण सफलता हासिल की है। मंगलवार को नारायणपुर जिले में 28 माओवादी कैडरों ने हथियार छोड़कर सामाजिक मुख्यधारा से जुड़ने का निर्णय लिया। इनमें 19 महिला माओवादी शामिल थीं, जिन पर कुल 89 लाख रुपये के इनाम थे।
नारायणपुर जिला प्रशासन, बस्तर पुलिस, सुरक्षा बलों और स्थानीय समाज के संयुक्त प्रयासों से यह कदम इलाके में शांति और भरोसे का माहौल मजबूत करता है।
कौन-कौन शामिल हुए आत्मसमर्पण में?
आत्मसमर्पण करने वाले माओवादी कैडरों में माड़ डिवीजन के डीवीसीएम सदस्य, पीएलजीए कंपनी नंबर-06 के मिलिट्री सदस्य, एरिया कमेटी सदस्य, टेक्निकल टीम और मिलिट्री प्लाटून के पीपीसीएम सदस्य, एसजेडसीएम भास्कर की गार्ड टीम के पार्टी सदस्य, सप्लाई टीम, एलओएस सदस्य और जनताना सरकार के सदस्य शामिल हैं। सभी ने हिंसा छोड़कर शांति और विकास के मार्ग को अपनाने की शपथ ली।
इस अवसर पर तीन माओवादी कैडरों ने अपने पास मौजूद तीन हथियार—एसएलआर, इंसास और .303 राइफल—सुरक्षा बलों को सौंपे। पुलिस ने इसे कानून व्यवस्था और स्थानीय सुरक्षा व्यवस्था पर बढ़ते विश्वास का सकारात्मक संकेत बताया।
पुलिस का बयान
नारायणपुर के पुलिस अधीक्षक रॉबिन्सन गुड़िया ने बताया कि 2025 में अब तक जिले में कुल 287 माओवादी कैडर मुख्यधारा में लौट चुके हैं। वहीं, बस्तर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक सुंदरराज पी ने कहा कि यह संख्या यह दर्शाती है कि माओवादी विचारधारा का प्रभाव लगातार कमजोर हो रहा है। पिछले 50 दिनों में बस्तर में 512 से अधिक माओवादी आत्मसमर्पण कर चुके हैं।
आइजी सुंदरराज पी ने कहा कि शेष माओवादी, जिनमें पोलित ब्यूरो सदस्य देवजी, सीसी सदस्य रामदर, डीकेएसजेडसी के पप्पा राव और देवा शामिल हैं, के पास अब हिंसा छोड़कर लौटने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है।
कार्यक्रम में शामिल लोग
पुनर्वास कार्यक्रम में आइजी सुंदरराज पी, कलेक्टर प्रतिष्ठा ममगई, एसपी रॉबिन्सन गुड़िया, जिला पंचायत की सीईओ आकांक्षा शिक्षा खलखो, आईटीबीपी और बीएसएफ के वरिष्ठ अधिकारी, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक, समाज के प्रमुख, मीडिया प्रतिनिधि और बड़ी संख्या में ग्रामीण उपस्थित रहे।
पूना मारगेम पहल का महत्व
“पूना मारगेम” पहल बस्तर में शांति, विश्वास और विकास के लिए एक मजबूत आधार तैयार कर रही है। यह कदम न केवल माओवादी हिंसा को कम करने में मदद करेगा, बल्कि क्षेत्र के सामाजिक और आर्थिक विकास को भी गति देगा।