नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि अजमेर शरीफ दरगाह कमेटी के सदस्यों की नियुक्ति तीन महीने के भीतर की जाए। अदालत ने कहा कि कमेटी को जल्द से जल्द सक्रिय किया जाना चाहिए, ताकि दरगाह के प्रबंधन का कामकाज सुचारू रूप से चलता रहे।

यह आदेश सय्यद मेहराज मियां की ओर से दायर याचिका की सुनवाई के दौरान दिया गया। मेहराज मियां दरगाह के वंशानुगत खदीम हैं और वे इसके दैनिक संचालन के लिए जिम्मेदार हैं। याचिका में उन्होंने दरगाह में सीसीटीवी कैमरे लगाने और कमेटी के सदस्यों की नियुक्ति को लेकर केंद्र सरकार से आदेश देने की मांग की थी।

केंद्र सरकार ने अदालत को बताया कि दरगाह में लगाए जाने वाले सीसीटीवी कैमरे केवल सार्वजनिक मार्ग और दरगाह तक पहुंचने वाले रास्तों पर निगरानी करेंगे, जबकि दरगाह के पवित्र स्थल (संक्टम सैंक्टोरम) में कोई रिकॉर्डिंग नहीं होगी। सरकार ने कहा कि कैमरों का उद्देश्य चोरी, हेराफेरी और पिकपॉकेटिंग जैसी घटनाओं को रोकना है।

याचिका में खदीम ने वर्तमान प्रशासन में वित्तीय गड़बड़ियों का हवाला दिया और कहा कि यह धार्मिक स्थल की छवि को प्रभावित कर रही हैं। अदालत ने केंद्र सरकार के बयान को रिकार्ड पर लेते हुए कमेटी की नियुक्ति के निर्देश दिए और याचिका को निस्तारित कर दिया। खदीम को यह अधिकार भी दिया गया कि भविष्य में कोई नया कारण उत्पन्न होने पर वे नई याचिका दायर कर सकते हैं।