सुक्खू सरकार का हिंदू विरोधी कारनामा, धार्मिक यात्रा पर लगाया शुल्क: जयराम ठाकुर

नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि सुक्खू सरकार अपने हिंदू विरोधी रवैये से बाज नहीं आ रही है। मुख्यमंत्री कभी हिंदू विरोधी बयान तो कभी हिंदुओं के खिलाफ कोई न कोई योजना लेकर आते हैं। अब सुक्खू सरकार ने हिंदुओं की धार्मिक यात्रा पर ही शुल्क लगा दिया है। चूड़धार की यात्रा करने वाले हिंदू धर्मावलंबियों से सरकार शुल्क वसूल रही हैं। अब शिरगुल महाराज के यहां माथा टेकने पर भी सरकार लोगों से पैसे वसूल रही है। जिसका स्थानीय लोगों द्वारा भारी विरोध किया जा रहा है। अपने प्रदेश के अंदर ही धार्मिक यात्रा पर लोगों से शुल्क वसूल करना कांग्रेस सरकार की मंशा साफ दिखाता है।

‘सुक्खू सरकार बनी शुल्क की सरकार’
जयराम ठाकुर ने कहा कि सुख की सरकार के शुल्क लगाने की लत लग गई है। सुख की सरकार मात्र दो सालों में ही ‘शुल्क की सरकार’ बन गई है। अब तो सरकार ने नवजातों के जन्म प्रमाण पत्र में सुधारने के लिए भी पांच गुना पैसा वसूल रही है। उन्होंने कहा कि सरकार चाहती है कि अब चूड़धार की धार्मिक यात्रा करने वाले श्रद्धालु यात्रा करने के बदले सरकार को शुल्क दें। इसी तरह का शुल्क मुग़ल बादशाह औरंगजेब ने भी हिंदुओं के तीर्थ यात्रा पर लगाया था जिसे ‘तीर्थ यात्रा महशूल’ यानी ‘जजिया कर’ कहा जाता था। मुख्यमंत्री ने इंसानों ही नहीं बल्कि घोड़े और खच्चरों पर भी शुल्क लगा दिया है। जिससे श्रद्धालु से लेकर घोड़े चलाने वाले भी परेशान हैं।

जयराम ठाकुर ने कहा कि सरकार का यह कदम बहुत दुर्भावनापूर्ण है। चूड़धार की यात्रा करने वाले श्रद्धालु भगवान शिरगुल महाराज के दर्शन करने लिए वहां जाते हैं। शिरगुल महाराज के प्रति हिमाचल समेत देश भर के श्रद्धालुओं में बड़ी आस्था है। शिरगुल महाराज शिमला, सोलन, सिरमौर के साथ-साथ उत्तराखंड के जौनसार बावर के लोगों के इष्ट देव हैं। इन क्षेत्रों के लोगों का तो वहां अक्सर आना-जाना रहता है। सभी का एक सांस्कृतिक जुड़ाव भी है। लोग अपनी पहली फसल का उत्पाद यहां चढ़ाने आते हैं। दूध घी भी चढ़ाने आते हैं। इन क्षेत्रों के लोग पूरे परिवार के साथ चूड़धार की यात्रा करते हैं। लोग वहां मन्नत मांगने के लिए वहां जाते हैं। मन्नत पूरी हो जाने बाद चढ़ावा चढ़ाने और पूजा करने जाते हैं। बीमार लोग चूड़धार की बावड़ी में स्नान करने के लिए जाते हैं। ठीक हो जाने के बाद फिर से दर्शन के लिए जाते हैं। श्रद्धालुओं का शिरगुल महाराज से अलग ही तरह का जुड़ाव है। ऐसे में सरकार द्वारा श्रद्धालुओं से चूड़धार की यात्रा पर शुल्क लेना शर्मनाक है।

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