गाजियाबाद के डासना जेल में हत्या और गैंगस्टर एक्ट समेत चार मामलों में बंद पूर्व ब्लॉक प्रमुख लेखराज यादव (76) का बृहस्पतिवार रात दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में उपचार के दौरान निधन हो गया। लेखराज को अक्टूबर में वाराणसी जेल से डासना शिफ्ट किया गया था।
गंभीर बीमारियों से थे पीड़ित
जेल अधिकारियों के अनुसार लेखराज को लीवर सिरोसिस, शुगर और अन्य गंभीर बीमारियों की समस्या थी। उनका इलाज एम्स, मेरठ और गाजियाबाद के अस्पतालों में चल रहा था। 22 दिसंबर को उन्हें एम्स ले जाया गया था, लेकिन तबीयत बिगड़ने पर पहले एमएमजी अस्पताल और फिर एम्स से राम मनोहर लोहिया अस्पताल रेफर किया गया। उपचार के दौरान उनकी मौत हो गई।
अपराधी की सियासी ताकत और काला इतिहास
झांसी के रानीपुर कस्बा निवासी लेखराज यादव का नाम बुंदेलखंड में दशकों तक आतंक के पर्याय रहा। राजनीतिक रसूख के चलते उन्होंने अपराध की दुनिया में अपना कड़ा नेटवर्क तैयार किया। यूपी में अपराध अंजाम देने के बाद एमपी में शरण लेते थे।
लेखराज दो बार झांसी के बंगरा ब्लॉक प्रमुख रह चुके थे और अपनी पत्नी राम मूर्ति और बेटे भगत सिंह को भी स्थानीय पंचायतों में सत्ता दिलाई। जमीनों पर कब्जा, खनन और अन्य अवैध गतिविधियों में उनकी हिस्सेदारी थी।
आपराधिक रिकॉर्ड
लेखराज के खिलाफ झांसी और आसपास के जिलों में 60 से अधिक मामले दर्ज हैं। इनमें हत्या, हत्या के प्रयास, रंगदारी, लूट और अन्य गंभीर अपराध शामिल हैं। उनके पुत्र और साथियों के खिलाफ भी दर्जनों मामले थे।
विवादास्पद घटनाएँ
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वर्ष 2006 में तत्कालीन भाजयुमो नेताओं की हत्या, जिसमें लेखराज भागीदार था।
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पुलिस के साथ मुठभेड़ और उसके दौरान वायरल हुई ऑडियो क्लिप, जिसने यूपी में हलचल मचा दी।
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कन्नौज जेल से झांसी लाते समय पुलिस काफिले पर हमला कर लेखराज को छुड़ाने का प्रयास।
अंतिम संस्कार
लेखराज यादव का अंतिम संस्कार शनिवार को झांसी के रानीपुर कस्बा में होगा।
लेखराज यादव की मौत के साथ बुंदेलखंड के अपराध और सियासी रसूख की लंबी विरासत का अंत हुआ, लेकिन उनके खिलाफ दर्ज कई मुकदमे अभी भी न्यायिक प्रक्रिया में हैं।