बाराबंकी। करवा चौथ की रात को जहां महिलाएं छतों पर चांद का दीदार करने में व्यस्त थीं, वहीं बाराबंकी जिला जेल में भी चांद देखने की वही भावना और उत्साह देखा गया। अंतर सिर्फ इतना था कि यह पर्व जेल की दीवारों और पुलिस की निगरानी में मनाया गया।
जेल में महिलाओं ने रखा व्रत
जिला जेल में इस बार 24 महिला बंदियों ने दिनभर निर्जला रहकर अपने पतियों की लंबी उम्र की कामना की। इनमें से 14 महिलाएं ऐसी थीं, जिनके पति भी उसी जेल में बंद हैं। जेल प्रशासन ने विशेष व्यवस्था कर इन महिलाओं को अपने पतियों से मिलने का अवसर दिया। परंपरा के अनुसार, महिलाओं ने चांद देखकर अपने पतियों के हाथों से जल ग्रहण किया और व्रत का पारायण किया।
जेलर ने बताया भावनाओं का महत्व
जेलर राजेंद्र सिंह ने कहा कि करवा चौथ भावनाओं का प्रतीक है। अपराध की सजा कानून देता है, लेकिन रिश्तों में प्यार और अपनापन अब भी जिंदा रहता है। हमने यह पर्व बंदियों के लिए खास बनाने की कोशिश की। दिनभर महिला बैरक में उत्साह का माहौल बना रहा, बंदियों ने मेंहदी लगाई, सज-धज कर पारंपरिक गीत गाए और शाम को चांद का इंतजार किया।
जेल परिसर में उत्सव का दृश्य
जेल परिसर में यह दृश्य किसी फिल्मी सीन से कम नहीं था। एक ओर कड़ी सुरक्षा, दूसरी ओर मंगलगीतों की गूंज और बीच में झिलमिलाते दीपों से सजी करवा चौथ की थालियां। महिला बंदियों ने कहा, "जहां प्यार है, वहां त्योहार की रोशनी भी पहुंच जाती है।"