तालिबान ने कश्मीर को लेकर अपना रुख स्पष्ट किया

तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया है. इसके बाद से अफगानिस्तान में तालिबानी लड़ाकों का आंतक जारी है. महिला से लेकर बच्चें पर जुल्म ठाहने से तालिबान बाज नहीं आ रहा है. तालिबान के डर से हर अफगानी सहमा हुआ है. अफगानिस्तान में तालिबानी लड़ाकों के कृत से पूरी दुनिया चिंतित है. लेकिन पाकिस्तान जैसे देश का खुला समर्थन तालिबान को मिल रहा है. इसी बीच तालिबान ने कश्मीर पर अपना रुख स्पष्ट करते हुए कहा कि वह इसे एक द्विपक्षीय, आंतरिक मुद्दा मानता है. साथ ही तालिबान ने कहा उनका ध्यान कश्मीर पर नहीं है.

तालिबान पर भारत की रहेगी नजर

सूत्रों के मुताबिक कश्मीर में सुरक्षा चौकसी को और बढ़ाई जाएगी. बता दें कि भारत भी तालिबान की गतिविधि पर पैनी नजर रखे हुए है. तालिबानी कैसे सरकार का गठन करती है और वहां की आवाम के साथ तालिबान तालिबान कैसे आचरण करेगा. बहरहाल इन सब पर भारत की निगाहें पैनी है. हालांकि विश्व भर में इस बात की चिंता जाहिर की जा रही है कि कहीं अफगानिस्तान दुनिया में इस्लामिक आतंकवाद का पहला केंद्र नहीं बन जाए. 

मंगलवार को सूत्र के हवाले से खबर आई कि पाकिस्तान की जासूसी एजेंसी आईएसआई तालिबान को प्रभावित करने की कोशिश करेगी. हालांकि, इसका बहुत सीमित प्रभाव होगा क्योंकि तालिबान ने ताकत की स्थिति में सत्ता हासिल कर ली है. आईएसआई केवल कमजोर तालिबान को प्रभावित कर सकता है, लेकिन वर्तमान स्थिति में इसकी संभावना कम ही दिखती है.

तालिबान और पाकिस्तान की हर गतिविधि पर नजर बनाए रखने की जरुरत

सूत्रों ने बताया कि अतीत में, अफगानिस्तान में पाकिस्तानी संगठनों के शिविर थे. इसलिए हमें जम्मू-कश्मीर में सावधान रहना होगा. साथ ही उन्होंने कहा कि तालिबान को कश्मीर के खिलाफ भड़काने की पूरी कोशिश पाकिस्तान कर सकता है. इससे भारत को अलर्ट रहने की जरूरत है. सूत्रों के मुताबिक लश्कर-ए-तैयबा और लश्कर-ए-झांगवी जैसे पाकिस्तान स्थित समूहों की अफगानिस्तान में कुछ उपस्थिति है, उन्होंने तालिबान के साथ काबुल के कुछ गांवों और कुछ हिस्सों में चेक पोस्ट बनाए हैं.

केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी का बयान 

बता दें कि भारत के केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने एक बयान जारी कर कहा कि भारत सीमा पार आतंकवाद के खतरे का सामना करने के लिए आत्मनिर्भर है. उन्होंने कहा भारत इस स्थिति को नियंत्रित करने के लिए काफी मजबूत और आत्मनिर्भर है. साथ ही सीमा पार आतंकवाद के खतरे का सामना करने के लिए भी.

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