नेक सलाह पर ये कैसी बौखलाहट !

पीड़ा होती है जब अपनों में से कुछ लोग विदेशी सरजमीं पर जा कर उभरते हुए भारत की तस्वीर को धूमिल करने की कोशिश करते हैं। इस पर अंकुश लगना चाहिये। सच्चे मन से भारत और भारतीयता में विश्वास रखने वाला व्यक्ति देश के सुधार के बारे में ही सोचेगा। हो सकता है कि देश में कमियां हों, वह उन कमियों को दूर करने की सोचेगा पर विदेश जा कर नुक्ताचीनी करना हर तरह से अमर्यादित है।

हर विवेकशील भारत हितैषी व्यक्ति इन विचारों से सहमत होगा। किन्तु कांग्रेस को ऐसे विचारों से बहुत परेशानी होती है। परेशानी नहीं अपितु बौखलाहट होती है। विदेश में भारत की गलत तस्वीर पेश करने पर जब कोई शीर्ष पर बैठा व्यक्ति सही सलाह देता है तब कांग्रेस की बौखलाहट चरम पर पहुंच जाती है। उपर्युक्त विचार राज्यसभा के सभापति (जो भारत के उपराष्ट्रपति भी हैं) जगदीप धनखड़ के हैं। जो उन्होंने ऋषि दयानन्द की 200वीं जयन्ती पर डाक टिकट को जारी करते हुए कहे थे।

कांग्रेस की गाली ब्रिगेड की कमांडर श्री धनखड़ को जलीकटी सुनाने झट से मीडिया के सामने आ गई और पानी पी पी कर श्री धनखड़ को कोसने में जुट गई। और तो और भाजपा का दामन पकड़ कर कभी सांसद बने उदितराज ने नेक सलाह से बौखलाकर कहा कि विदेश में भारत की संवैधानिक संस्थाओं की निन्दा न करने का उपदेश देने वाले जगदीप धनखड़ को इस्तीफा देकर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ में शामिल हो जाना चाहिये। ठीक भी है सद्परामर्श और राष्ट्रहित का काम आरएसएस को ही सुहाता है, उदित राज जैसे लोगों को तो आकाओं के चरणचुंबन, जातिगत तिकड़म और लोगों को भरमाने का काम ही करना है। वे चाहे जो कुछ कर लें, बाबा साहब नहीं बन सकते। जहां तक कांग्रेस की नीति-रीति का सवाल है, उसके नेताओं ने तो पाकिस्तान जा कर भी भारत सरकार की निन्दा की थी। जब देश का प्रचंड बहुमत लोकसभा में दो-दो बार उसे ठुकरा चुका है और पूर्वोत्तर के राज्यों की 180 विधानसभा सीटों में मात्र 8 सीटें मिलने पर उनका बौखलाना स्वाभाविक है। हमारा लोकतंत्र इस मोड़ पर आ पहुंचा है कि चौबीसों घंटे झूठ बोलने वाला सत्य को अपना सहारा बताता है और महाभ्रष्ट अपने को कट्टर ईमानदार घोषित करता है।

गोविंद वर्मा
संपादक ‘देहात’

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