साल का पहला सूर्य ग्रहण शुरू हो चुका है. बता दें कि आज वैशाख अमावस्या भी है. सूर्य ग्रहण से 12 घंटे पहले ही सूतक काल लग जाता है. साल का पहला सूर्य ग्रहण कंकणाकृति सूर्य ग्रहण होगा. यह सूर्य ग्रहण बेहद खास रहने वाला है क्योंकि इस बार एक ही दिन में तीन तरह का सूर्य ग्रहण दिखेगा, जिसे वैज्ञानिकों ने हाइब्रिड सूर्य ग्रहण का नाम दिया है. इनमें आंशिक, पूर्ण और कुंडलाकार सूर्य ग्रहण शामिल होंगे. ज्योतिष में ग्रहण को अशुभ घटनाओं में गिना जाता है. इस वजह से ग्रहण के दौरान शुभ कार्य और पूजा पाठ वर्जित माने जाते हैं. मान्यता है कि सूर्य ग्रहण के दौरान सूर्य पीड़ित हो जाते हैं, जिस कारण सूर्य की शुभता में कमी आ जाती है.
साल का पहला सूर्य ग्रहण दिखना शुरू हो चुका है. भारत में यह सूर्य ग्रहण नहीं दिख रहा है लेकिन ऑस्ट्रेलिया में यह सूर्य ग्रहण दिखना शुरू हो चुका है.
सूर्य ग्रहण की अवधि
यह ग्रहण सुबह 7 बजकर 4 मिनट से शुरू हो चुका है और दोपहर 12 बजकर 29 मिनट पर खत्म होगा. इस सूर्य ग्रहण की अवधि 5 घंटे 24 मिनट की होगी. लेकिन, यह सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा इसलिए इस ग्रहण का सूतक काल नहीं माना जाएगा.
कब लगता है सूर्य ग्रहण
सूर्य ग्रहण तब होता है जब चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के बीच आ जाता है और पृथ्वी पर छाया डालता है. इस अवस्था में वो सूर्य के प्रकाश को पूरी तरह या आंशिक रूप से ढक लेता है. कंकणाकृति सूर्य ग्रहण मिला जुला सूर्य ग्रहण माना जाता है जिसमें ग्रहण एक कुंडलाकार सूर्य ग्रहण के रूप में शुरू होता है फिर धीरे-धीरे यह पूर्ण सूर्य ग्रहण में बदल जाता है और फिर वापस आकर कुंडलाकार सूर्य ग्रहण में बदल जाता है.
क्या यह सूर्य ग्रहण भारत में दिखेगा
यह सूर्य ग्रहण भारत में दृश्यामान नहीं होगा. यह सूर्य ग्रहण कंबोडिया, चीन, अमेरिका, माइक्रोनेशिया, मलेशिया, फिजी, जापान, समोआ, सोलोमन, बरूनी, सिंगापुर, थाईलैंड, अंटार्कटिका, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, वियतनाम, ताइवान, पापुआ न्यू गिनी, इंडोनेशिया, फिलीपींस, दक्षिण हिंद महासागर और दक्षिण प्रशांत महासागर जैसी जगहों पर ही दिखाई देगा.
यहां पर देंखे लाइव
सूर्य ग्रहण देखने के लिए आप NASA के यूट्यूब चैनल पर लाइव देख सकते हैं जो भारतीय समयानुसार सुबह 8 बजे से लाइव दिखाएगा. इसके अलावा Timeanddate.com पर जाकर सूर्य ग्रहण को लाइव देख सकते हैं.
सूर्य ग्रहण के दौरान क्या न करें
1. ग्रहण के दौरान किसी सुनसान जगह, श्मशान पर अकेले नहीं जाना चाहिए. दरअसल, इस दौरान नकारात्मक शक्तियां हावी रहती हैं.
2. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, ग्रहण के समय सोना नहीं चाहिए और ना सूई में धागा डालना चाहिए.
3. इसके अलावा ग्रहण के दौरान यात्रा करने से भी बचना चाहिए और शारीरिक संबंध बनाना भी मना होता है.
सूर्य ग्रहण के दौरान क्या करें
1. सूर्य ग्रहण के बाद गंगाजल से स्नान करें. पूरे घर और देवी देवताओं को शुद्ध करें.
2. ग्रहण के दौरान सीधे सूर्य को देखने से बचना चाहिए.
3. ग्रहण के दौरान बाहर जाने से बचें. साथ ही ध्यान रखें कि आप कोई गलत काम न करें.
4. ग्रहण के बाद हनुमान जी की उपासना करें.
सूर्य ग्रहण के दौरान क्यों होता है खाना पीना वर्जित
धार्मिक शास्त्रों में बताया गया है कि सूर्य ग्रहण के दौरान कुछ भी नहीं खाना चाहिए. स्कंद पुराण में भी उल्लेखित है कि सूर्य ग्रहण के दौरान भोजन करने से सेहत पर गलत असर पड़ता है. यह भी बताया गया है कि सूर्य ग्रहण के समय भोजन करने से सारे पुण्य और कर्म नष्ट हो जाते हैं.
सूर्य ग्रहण का इन राशियों पर सबसे ज्यादा असर
मेष राशि के जातकों पर इस ग्रहण का सबसे अधिक प्रभाव पड़ेगा. इसके अलावा सिंह, कन्या, वृश्चिक और मकर राशि के जातकों पर भी इस सूर्य ग्रहण का प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है. वहीं साल का पहला सूर्य ग्रहण वृष, मिथुन, धनु और मीन राशि वालों के लिए बेहद शुभ रहेगा. मेष राशि: साल का पहला सूर्य ग्रहण मेष राशि में लग रहा है.
क्या होता है सूतक काल ?
धार्मिक नजरिए से सूतककाल को शुभ नहीं माना जाता है. ऐसे में इस दौरान किसी भी तरह का कोई भी शुभ कार्य करना वर्जित होता है. सूर्य ग्रहण के सूतक काल में मंदिर के कपाट बंद हो जाते हैं. पूजा-अर्चना वर्जित होती है. ग्रहण पर सूतक के दौरान भगवान की मूर्तियों का स्पर्श नहीं किया जाता है और न ही इनकी पूजा-पाठ होती है. सूतक काल की शुरूआत से लेकर इसके खत्म होने तक न तो खाना बनाया जाता है और न ही खाना खाया जाता है.
क्यों खास है इस बार का सूर्य ग्रहण
इस बार का सूर्य ग्रहण तीन रूपों में दिखाई देगा, जिसको खगोल विज्ञान में हाइब्रिड सूर्य ग्रहण कहा गया है. हाइब्रिड सूर्य ग्रहण आंशिक, पूर्ण और कुंडलाकार सूर्य ग्रहण का मिश्रण होता है. यह सूर्य ग्रहण लगभग 100 साल में एक ही बार देखने को मिलता है. इस सूर्य ग्रहण के समय चंद्रमा की धरती से दूरी न तो ज्यादा होती है और न कम. इस दुर्लभ ग्रहण के दौरान सूर्य कुछ सेकेंड के लिए एक वलय यानी रिंग जैसी आकृति बनाता है, जिसे अग्नि का वलय यानी रिंग ऑफ फायर कहा जाता है.
ग्रहण की पौराणिक कथा
हिंदू धर्म की पौराणिक कथाओं के मुताबिक, ग्रहण का संबंध राहु और केतु ग्रह से है. बताया जाता है कि समुद्र मंथन के जब देवताओं और राक्षसों में अमृत से भरे कलश के लिए युद्ध हुआ था. तब उस युद्ध में राक्षसों की जीत हुई थी और राक्षस कलश को लेकर पाताल में चले गए थे. तब भगवान विष्णु ने मोहिनी अप्सरा का रूप धारण किया और असुरों से वह अमृत कलश ले लिया था. इसके बाद जब भगवान विष्णु ने देवताओं को अमृत पिलाना शुरू किया तो स्वर्भानु नामक राक्षस ने धोखे से अमृत पी लिया था और देवताओं को जैसे ही इस बारे में पता लगा उन्होंने भगवान विष्णु को इस बारे में बता दिया. इसके बाद भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से उसका सिर धड़ से अलग कर दिया.