झरिया कोयला क्षेत्र में भूमिगत आग से कोकिंग कोल की ग्रेडिंग खराब हो रही है। यह देश के लिए बड़ा नुकसान है। जिस कोयले के आयात पर सालान एक लाख करोड़ से ज्यादा विदेशी मुद्रा खर्च की जा रही है उस रकम को बचाया जा सकता है। सुरक्षा के साथ साथ झरिया पुनर्वास देश की अर्थव्यवस्था से भी जुड़ा है। केंद्र स्थिति को लेकर गंभीर है। रिपोर्ट के अनुसार आग से अरबों का कोयला जलकर राख हो रहा है तो कोयले की ग्रेडिंग भी प्रभावित हो रही है। इस वजह से कोयले की कम कीमत मिल रही है।
झरिया पुनर्वास का रोडमैप तय करने कोयला मंत्रालय की ओर से गठित टीम रविवार देर शाम धनबाद पहुंच चुकी है। बीसीसीएल सीएमडी सहित अन्य अधिकारियों के साथ टीम की औपचारिक बैठक हुई है। सोमवार को टीम प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करेगी। इस टीम के दौरे को महत्वपूर्ण माना जा रहा है। टीम में हर संबंधित क्षेत्र के एक्सपर्ट शामिल हैं। सीएमपीडीआईएल और आईआईटी के एक्सपर्ट पुनर्वास के रोडमैप तय करने में तकनीकी सलाह देंगे।
बीसीसीएल सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार टीम विस्थापितों की कॉलोनी बेलगडिया, अति आग प्रभावित घनुडीह, सीके साइडिंग, कुसुंडा, सेंद्रा बांसजोड़ा आदि क्षेत्र का दौरा करेगी। टीम में कृष्णा वत्स एनडीएमए (सदस्य राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकार), एडिशनल सेक्रेटरी,डिपार्टमेंट आफ लैंड रिसोर्सेस ( डीओ डीएलआर ) हुकूम सिंह मीणा, सीएमपीडीआईएल के पूर्व सीएमडी शेखर शरण, आईआईटी आईएसएम के प्रोफेसर आर एम भट्टाचार्य तथा कोयला मंत्रालय के प्रोजेक्ट एडवाइजर आनंदी प्रसाद शामिल हैं।