विधायक महेंद्र भाटी हत्याकांड में डीपी यादव बरी

नैनीताल। महेंद्र भाटी हत्याकांड में हाईकोर्ट ने बाहुबली नेता पूर्व सांसद धर्मपाल यादव (डीपी यादव) को साक्ष्य के अभाव में दोषमुक्त कर दिया है। कोर्ट ने सीबीआई अदालत का आदेश निरस्त कर दिया है। पूर्व सांसद सहित तीन अन्य को इसी मामले में देहरादून की सीबीआई कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। पूर्व में हाईकोर्ट ने इस प्रकरण पर सुनवाई के बाद निर्णय सुरक्षित रख लिया था।

बुधवार को मुख्य न्यायाधीश आरएस चौहान एवं न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में पूर्व सांसद डीपी यादव की अपील पर फैसला सुनाया गया। कोर्ट ने निचली अदालत के आदेश को निरस्त करते हुए उनके खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं पाते हुए उन्हें दोषमुक्त कर दिया। डीपी यादव अभी अंतरिम जमानत पर भी हैं। कोर्ट ने इस हत्याकांड के अन्य आरोपियों की अपीलों में निर्णय सुरक्षित रखा है।

मामले के अनुसार 13 सितंबर 1992 को गाजियाबाद के विधायक रहे महेंद्र भाटी की दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस मामले में डीपी यादव, परनीत भाटी, करन यादव व पाल सिंह उर्फ लक्कड़ पाला पर हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया था। 15 फरवरी 2015 को देहरादून की सीबीआई कोर्ट ने चारों अभियुक्तों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। इस आदेश के खिलाफ चारों अभियुक्तों ने अपील के माध्यम से हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।

खुद लड़ेंगे और परिवार व परिचितों को लड़ाएंगे चुनाव
बदायूं। महेंद्र भाटी हत्याकांड में बरी हुए डीपी यादव बुधवार को पूरे दिन जिले में रहे। इस दौरान उन्होंने कई नगरों में अपने कार्यालयों पर बैठकर चुनाव में सक्रिय भूमिका निभाने का संदेश दिया। कहा कि खुद चुनाव लड़ेंगे और परिवार व परिचितों को भी लड़ाएंगे।


डीपी के बरी होने से जिले की कई सीटों पर राजनीतिक समीकरण बदल सकते हैं। क्योंकि वह सहसवान से विधायक (2007-12) रह चुके हैं। तब वह अपनी पार्टी राष्ट्रीय परिवर्तन दल से जीते थे और जीत के बाद बसपा में शामिल हो गए थे। उनकी पत्नी उमलेश यादव भी तब बिसौली से विधायक थीं। मौजूदा में डीपी के भतीजे पूर्व एमएलसी जितेंद्र यादव की पत्नी वर्षा यादव बदायूं की जिला पंचायत अध्यक्ष हैं। लंबे समय से जिले में सक्रिय डीपी अपने व बेटे कुणाल के लिए राजनीतिक ठौर तलाश रहे हैं। जमानत के दौरान भी उनका ज्यादातर वक्त जिले में या नजदीक संभल के धनारी फार्म पर गुजरता था। हालांकि उस दौरान वह राजनीतिक कार्यक्रम में सहभागिता से बचते थे। उनके खुलकर चुनावी मैदान में आने पर सहसवान समेत दूसरी सीटों पर खासा असर पड़ेगा। सहसवान में पिछले चुनाव में उनकी पत्नी उमलेश यादव निर्दलीय प्रत्याशी होने के बाद भी भाजपा प्रत्याशी से दोगुने से ज्यादा वोट ले गई थीं।

बुधवार को बरी होने के बाद मीडिया को दिए बयान में डीपी यादव ने कहा कि भाटी हत्याकांड से उनका दूर-दूर तक कोई लेनादेना नहीं था। राजनीतिक दुर्भावना की वजह से उनका नाम घसीटा गया। अब हाईकोर्ट ने भी उन्हें बेदाग मान लिया है। कहा कि इस केस के अलावा फिलहाल कोई केस उन पर पेंडिंग नहीं है। इसलिए पूरी तरह बदलाव के साथ वापसी करेंगे। कहा कि खुद चुनाव लड़ सकते हैं और परिवार के लोगों को भी लड़ा सकते हैं। पार्टी की बात पर उनका कहना था कि यह बातें कार्यकर्ताओं के साथ बैठकर तय करेंगे। जल्दी ही सब सामने आ जाएगा।

सूत्रों के मुताबिक डीपी यादव की पहली पसंद भाजपा है। हालांकि भाजपा उन्हें अपनाएंगी, इसमें संशय हो सकता है पर समाजवादी परिवार के मुकाबले उन्हें ट्रंप कार्ड के रूप में इस्तेमाल कर सकती है। ऐसे में डीपी अपनी पार्टी रापद के बैनर तले भी चुनाव लड़ सकते हैं और संभव है कि भाजपा उन्हें अप्रत्यक्ष तौर पर समर्थन कर दे। उनके भतीजे जितेंद्र यादव भी सहसवान सीट से चुनाव लड़ने के इच्छुक हैं। परिवार की ही पूनम यादव भी दावेदार हैं। ऐसे में परिवार के लोग किसी एक नाम पर सहमति बनाकर भी भाजपा नेतृत्व से बात बना सकते हैं।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here