केंद्र जम्मू-कश्मीर में अगले साल की शुरुआत में विधानसभा चुनाव करवा सकता है। इसके लिए वह प्रदेश में शृंखलाबद्ध तरीके से राजनीतिक पहल शुरू करने की योजना बना रहा है। इसके तहत प्रदेश की मुख्यधारा की राजनीतिक पार्टियों के साथ केंद्र चर्चा भी कर सकता है।
अधिकारियों ने शुक्रवार को बताया कि संसद द्वारा जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक पारित होने के तुरंत बाद फरवरी 2020 में गठित परिसीमन आयोग भी अपने काम में तेजी ला सकता है। न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) रंजना देसाई की अध्यक्षता में गठित परिसीमन आयोग द्वारा अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने की संभावना है। इस आयोग को इसी वर्ष में एक साल का विस्तार दिया गया है।
अधिकारियों के अनुसार, केंद्रीय नेतृत्व आने वाले हफ्तों में चर्चा के लिए नेशनल कांफ्रेंस अध्यक्ष डॉ. फारूक अब्दुल्ला, पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती, अल्ताफ बुखारी के नेतृत्व वाली जम्मू-कश्मीर अपनी पार्टी और पीपुल्स कांफ्रेंस के सज्जाद लोन को बातचीत के लिए बुला सकती है। ऐसी संभावना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस बैठक की अध्यक्षता कर सकते हैं। इस बैठक में भाजपा और कांग्रेस की प्रदेश इकाइयां भी शामिल हो सकती हैं।
इस पूरी कवायद को 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा समाप्त करने और लद्दाख को अलग केंद्र शासित प्रदेश में विभाजित करने के बाद लोकतंत्र को बहाल करने के उपायों के साथ जोड़ कर देखा जा रहा है। इसके बाद अगस्त 2019 में बुखारी को छोड़कर अन्य सभी नेताओं को हिरासत में लिया गया था।
पिछले वर्ष छह पार्टियों ने बनाया था पीएजीडी
पिछले वर्ष जिला विकास परिषद (डीडीसी) चुनावों से पहले नेकां और उसके कट्टर प्रतिद्वंद्वी पीडीपी, पीपुल्स कांफ्रेंस सहित छह अन्य दलों ने पीपुल्स अलायंस फार गुपकार डिक्लेरेशन (पीएजीडी) नाम का गठबंधन बनाया था। भाजपा और जेकेएपी ने 280 में से 110 सीटें जीती थीं। भाजपा 75 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी के रूप में सामने आई थी जबकि नेकां ने 67 सीटें जीती थीं।