बांग्लादेश ने ढाका और नई दिल्ली के बीच रिश्तों को पुनर्जीवित करने के लिए सांस्कृतिक कूटनीति पर जोर देना शुरू कर दिया है। देश की योजना है कि फिल्म फेस्टिवल, पर्यटन और लोगों के बीच सीधा संपर्क रिश्तों में आई ठंडक को दूर करे और दोनों देशों के बीच वही गति लौटाए, जो लंबे समय से मजबूत आर्थिक भागीदारी पर आधारित रही है।

बांग्लादेश के उच्चायुक्त एम. रियाज हमीदुल्लाह ने कोलकाता में मर्चेंट चैंबर ऑफ कॉमर्स के सदस्यों से बातचीत में कहा कि शेख हसीना के बाद के दौर में यह दोनों देशों के लिए अपने रिश्तों को नए सिरे से परिभाषित करने का अवसर है। उन्होंने बताया कि ढाका दिल्ली में एक बंगाली फिल्म फेस्टिवल आयोजित करने पर विचार कर रहा है, जो सांस्कृतिक संवाद को नई दिशा देने में मदद करेगा।

उच्चायुक्त ने यह भी कहा कि पर्यटन दोनों देशों के बीच विश्वास और जुड़ाव बढ़ाने का सबसे प्रभावी साधन है। उन्होंने उद्योग जगत से संवाद में यह साझा किया कि अधिक भारतीय पर्यटकों को बांग्लादेश आने के लिए प्रेरित करना लगातार उनकी प्राथमिकता रही है।

आर्थिक रिश्तों का व्यापक स्वरूप
हमीदुल्लाह ने कहा कि भारत और बांग्लादेश के आर्थिक संबंध अक्सर कम आंका जाता है। केवल माल व्यापार के आंकड़ों में 12 अरब डॉलर का आंकड़ा दिखता है, लेकिन वास्तविक जुड़ाव इससे कहीं अधिक है। यदि इसमें मेडिकल टूरिज्म, भारत में पढ़ रहे बांग्लादेशी छात्र और बांग्लादेश में काम कर रहे भारतीय पेशेवरों को शामिल किया जाए, तो दोनों देशों के आर्थिक संबंध 25 से 38 अरब डॉलर के बीच पहुँचते हैं। उन्होंने इसे साझा इतिहास, संस्कृति और सामाजिक संरचना से जन्मी प्राकृतिक कनेक्शन बताया।

संवेदनशील मुद्दों पर समझ और सहयोग
हमीदुल्लाह ने कहा कि आगे बढ़ने के लिए दोनों देशों को एक वास्तविक “साझा भविष्य” की अवधारणा पर काम करना होगा। इसके लिए एक-दूसरे की संवेदनाओं को समझना और उनका सम्मान करना जरूरी है, वरना रिश्तों की मजबूती कमजोर पड़ सकती है। उन्होंने बांग्लादेश के समुद्री क्षमताओं और बंदरगाह विकास को भी भविष्य के सहयोग का अहम संकेतक बताया।

परिवहन और लॉजिस्टिक्स में सहयोग
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि भारत के रास्ते भूटान के लिए बांग्लादेशी सामान भेजने पर बातचीत चल रही है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि बुनियादी ढांचा और लॉजिस्टिक्स में सुधार दोनों देशों के बीच सहयोग को और सहज बनाएगा।

साथ ही, बांग्लादेश के विदेश मामलों के सलाहकार एम. डी. तौहीद हुसैन ने बताया कि पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना से जुड़े प्रत्यर्पण मामले से ढाका-नई दिल्ली के रिश्तों पर असर नहीं पड़ेगा। इसे दोनों देशों के बीच मौजूदा संवेदनशील दौर में स्थिरता लाने की कोशिश का हिस्सा माना जा रहा है।