भारत की गैर-लाभकारी संस्था “एजुकेट गर्ल्स” को अपनी शानदार सामाजिक पहल के लिए प्रतिष्ठित रेमन मैग्सेसे अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार उन हजारों क्षेत्रीय समन्वयकों, स्वयंसेवकों और युवा मार्गदर्शकों को समर्पित किया गया, जिन्होंने देशभर में लाखों लड़कियों को स्कूल लौटने में मदद की। इस सम्मान की घोषणा 31 अगस्त को हुई थी और शुक्रवार को फिलीपींस की राजधानी मनीला में एक औपचारिक समारोह में इसे प्रदान किया गया।

“एजुकेट गर्ल्स” की स्थापना 2007 में हुई और यह उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश और बिहार के 30,000 से अधिक गांवों में सक्रिय है। संस्था का उद्देश्य गरीबी और निरक्षरता के चक्र को तोड़ना है। अब तक 55,000 से अधिक स्वयंसेवकों की मदद से यह संगठन 20 लाख से ज्यादा लड़कियों को स्कूल लौटने में सफल रहा और 24 लाख बच्चों को शिक्षा से जोड़ने का काम किया।

संस्था की संस्थापक सफीना हुसैन ने पुरस्कार स्वीकार करते हुए कहा कि यह सम्मान उन बेटियों के साहस, संघर्ष और मेहनत को मान्यता देता है जो घर की जिम्मेदारियों के बावजूद पढ़ाई करती हैं। उन्होंने यह भी कहा कि यह पुरस्कार माता-पिता, शिक्षकों, समुदाय और 55,000 स्वयंसेवकों के समर्पण का प्रतीक है।

संस्था की सीईओ गायत्री नायर लोबो ने बताया कि यह सम्मान उनके सामूहिक प्रयासों और नवोन्मेषी कार्यक्रमों की सराहना है। उनका लक्ष्य अब 2035 तक एक करोड़ शिक्षार्थियों तक पहुंचना है, ताकि दुनिया की लाखों लड़कियों को शिक्षा का अवसर मिल सके।

रेमन मैग्सेसे अवॉर्ड फाउंडेशन ने “एजुकेट गर्ल्स” के उन प्रयासों की सराहना की, जिनके तहत लड़कियों और युवतियों को शिक्षा के माध्यम से सशक्त बनाया गया, सांस्कृतिक पूर्वाग्रहों को तोड़ा गया और उनमें आत्मनिर्भरता और कौशल का विकास किया गया। पुरस्कार समारोह में संस्था की 25 सदस्यीय टीम, जिसमें क्षेत्रीय समन्वयक, स्वयंसेवक और पहली पीढ़ी के शिक्षार्थी शामिल थे, मनीला में मौजूद रही। रेमन मैग्सेसे अवॉर्ड को अक्सर एशिया का ‘नोबेल पुरस्कार’ कहा जाता है।