सोमवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और इस्राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के बीच व्हाइट हाउस में अहम बैठक होने जा रही है। इस बैठक पर पूरी दुनिया की नजरें टिकी हुई हैं क्योंकि उम्मीद जताई जा रही है कि गाजा में संघर्ष विराम के लिए कोई समझौता सामने आ सकता है।
अंतरराष्ट्रीय दबाव के बीच, ट्रंप ने सोशल मीडिया पर लिखा कि “मध्य पूर्व में कुछ खास होने वाला है,” जिससे यह संकेत मिलता है कि गाजा में जल्द शांति स्थापित हो सकती है। अमेरिका पारंपरिक रूप से इस्राइल का समर्थक रहा है, लेकिन संघर्ष के बढ़ते समय और हमलों के खिलाफ बढ़ते अंतरराष्ट्रीय विरोध के चलते अमेरिका भी दबाव में है।
ओवल ऑफिस में होने वाली यह बैठक नेतन्याहू के लिए चुनौतीपूर्ण मानी जा रही है। राजनीतिक विश्लेषक ईटन गिलबोआ के अनुसार, अगर नेतन्याहू संघर्ष विराम को मंजूरी देते हैं, तो उनकी गठबंधन सरकार में शामिल कई सहयोगी नाराज हो सकते हैं, क्योंकि वे लड़ाई जारी रखने और हमास को पूरी तरह समाप्त करने की मांग कर रहे हैं।
पिछले दिनों इस्राइल द्वारा कतर में हमास के ठिकानों पर किए गए हमलों के बाद पश्चिम एशियाई देशों में इस्राइल के खिलाफ दबाव बढ़ा है। इसी कारण अमेरिका ने भी अब अपनी नीति और धैर्य पर फिर से ध्यान केंद्रित किया है। हाल ही में ट्रंप ने वेस्ट बैंक पर इस्राइल के कब्जे की मंशा को स्पष्ट रूप से खारिज किया था।
ट्रंप प्रशासन ने गाजा में संघर्ष विराम के लिए एक प्रस्ताव तैयार किया है। इसमें 48 घंटे में सभी बंधकों की रिहाई, चरणबद्ध तरीके से इजराइली सेना की वापसी, और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा बलों की तैनाती जैसी बातें शामिल हैं। 21 बिंदुओं वाले इस प्रस्ताव में हमास के शासन और उसका निशस्त्रीकरण भी शामिल है, लेकिन गाजा से नागरिकों को हटाने का कोई प्रावधान नहीं है। प्रस्ताव पर अरब देशों के प्रतिनिधियों से भी चर्चा की गई है।
इस बैठक के परिणाम से मध्य पूर्व में शांति स्थापित होने की उम्मीद जताई जा रही है, जबकि नेतन्याहू के लिए राजनीतिक संतुलन बनाए रखना चुनौतीपूर्ण साबित होगा।