राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) महासचिव दत्तात्रेय होसबाले के “संविधान में जोड़े गए धर्मनिरपेक्ष और समाजवादी शब्दों की पुनः समीक्षा होनी चाहिए” वाले बयान के बाद सियासत गरमाई हुई है। कांग्रेस ने आरएसएस–भाजपा को संविधान विरोधी करार दिया, जबकि बीजेपी के केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपना समर्थन जताया है।
शिवराज का तर्क
शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि भारत की असली सांस्कृतिक पहचान “सर्वधर्म समभाव” में निहित है, न कि “धर्मनिरपेक्षता” शब्द में। उनका मानना है कि आपातकाल के दौरान संविधान में जो “धर्मनिरपेक्ष” शब्द जोड़ा गया, उसकी समीक्षा जरूरी है। चौहान ने आगे कहा कि भारतीय दर्शन “वसुधैव कुटुंबकम्” (सारी पृथ्वी एक परिवार) और “सर्वे भवन्तु सुखिनः” जैसे आदर्शों पर आधारित है, जहां समाजवाद का औपचारिक समावेश अनावश्यक है।
कांग्रेस का हमला
कांग्रेस ने आरएसएस और भाजपा पर हमला बोलते हुए आरोप लगाया कि दोनों संगठन संविधान की मूल भावना से हटकर अपनी विचारधारा थोपना चाहते हैं। पार्टी ने चेताया कि वह इस “खतनाक प्रस्ताव” को कभी सफल नहीं होने देगी और हर स्तर पर इसका पुरजोर विरोध करेगी।
सियासी रंगत
आरएसएस महासचिव के बयान ने राजनीतिक समीकरण हिला दिए हैं। एक तरफ BJP नेतृत्व में धर्मनिरपेक्षता की वैकल्पिक परिभाषा पर बहस शुरू हो चुकी है, तो दूसरी ओर कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल इसे संविधान की आत्मा पर हमला बता रहे हैं। इस विचार–विमर्श ने देशव्यापी बहस को नई गति दी है, जिसका असर आगामी चुनावी मंच पर भी देखा जाएगा।
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