नई दिल्ली। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने एक बड़े फर्जीवाड़े का भंडाफोड़ करते हुए दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जो सरकारी अधिकारियों के नाम पर ठगी और रिश्वतखोरी का नेटवर्क चला रहे थे। गिरफ्तार किए गए आरोपियों की पहचान अजीत कुमार पात्रा और मिंकु लाल जैन के रूप में हुई है।

सरकारी अधिकारियों से संबंध बताकर लोगों को ठगते थे आरोपी

सीबीआई अधिकारियों के अनुसार, दोनों आरोपी खुद को केंद्रीय एजेंसियों से जुड़ा अधिकारी बताकर लोगों को प्रभावित करते और सरकारी सुविधाओं का दुरुपयोग करते थे। वे उच्च पदस्थ अधिकारियों से जान-पहचान का दावा कर लोगों को डराते-धमकाते थे।
जांच में सामने आया कि दोनों ने कई बार सरकारी परिसरों में वीआईपी प्रोटोकॉल का फायदा उठाया और प्रतिबंधित क्षेत्रों में बिना अनुमति प्रवेश किया। यही नहीं, ये सरकारी और धार्मिक आयोजनों में वीआईपी मेहमान बनकर शामिल होते रहे।

रिश्वत मांगने के आरोप में हुई गिरफ्तारी

4 नवंबर को जीएसटी इंटेलिजेंस निदेशालय (DGGI) की टीम ने एक निजी कंपनी के सीईओ विनोद परिहार के ठिकानों पर छापेमारी की थी। गिरफ्तारी से बचने के लिए परिहार ने कथित तौर पर अजीत पात्रा और मिंकु जैन से संपर्क किया।
सीबीआई के अनुसार, दोनों ने परिहार से मामला “सुलझाने” के नाम पर 18 लाख रुपये की रिश्वत मांगी। इस जानकारी के बाद सीबीआई ने जाल बिछाकर दोनों को गिरफ्तार कर लिया। जांच एजेंसी ने आरोपियों के पास से 18 लाख रुपये नकद बरामद किए हैं।

सीबीआई को मिली करोड़ों की संपत्ति

गिरफ्तारी के बाद सीबीआई ने आरोपियों के ठिकानों पर तलाशी में भारी मात्रा में संपत्ति बरामद की है। जांच में 3.7 करोड़ रुपये की नकदी, लगभग एक किलो सोने के आभूषण, अजीत पात्रा और उसके रिश्तेदारों के नाम पर 26 संपत्तियों के दस्तावेज, चार लग्जरी गाड़ियां और 12 अन्य वाहन मिले हैं।
इसके अलावा दिल्ली, राजस्थान और ओडिशा में फैले ठिकानों से कई डिजिटल उपकरण भी जब्त किए गए हैं।

सीबीआई के अधिकारियों का कहना है कि दोनों आरोपियों से पूछताछ जारी है और उन्होंने कुछ वरिष्ठ अधिकारियों के नाम भी बताए हैं, जो इस नेटवर्क से जुड़े हो सकते हैं। एजेंसी अब इस गिरोह से जुड़े अन्य लोगों की भूमिका की भी जांच कर रही है।