महाराष्ट्र: राज्यपाल से मिले शरद गुट के नेता, उद्धव ने भी की मराठा आरक्षण की पैरवी

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार गुट) के नेताओं ने रविवार को मराठा आरक्षण को लेकर महाराष्ट्र के राज्यपाल रमेश बैस से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने उनसे कहा कि समुदाय के लिए आरक्षण पर जल्द से जल्द कार्रवाई होनी चाहिए। 

राज्यपाल से बैठक के बाद पार्टी के नेता जितेंद्र आव्हाड ने कहा, “हमने राज्यपाल से मुलाकात की और उन्हें महाराष्ट्र की स्थिति से अवगत कराया। हमने उनसे कहा कि राज्य सरकार को मराठा आरक्षण पर जल्द कार्रवाई करनी चाहिए। अगर इसमें देरी होती है तो राज्य में कानून-व्यवस्था पर सवाल खड़े हो सकते हैं। हमने यह भी कहा कि उन्हें इस बारे में केंद्र सरकार से बात करनी चाहिए, क्योंकि बीच का रास्ता निकालना जरूरी है।”राकांपा (शरद पवार गुट) के नेता जयंत पाटिल ने कहा, “उन्हें (राज्यपाल) महाराष्ट्र की स्थिति से अवगत कराकर हमने कहा कि जल्द ही एक फैसला लिया जाना चाहिए। यह चिंता की बात है कि फैसला नहीं लिया जा रहा है। मनोज जरांगे का स्वास्थ्य चिंता का विषय बनता जा रहा है। इसलिए, राज्य सरकार को तुरंत फैसला लेना चाहिए।”

Maratha Reservation: Leader of Sharad faction met Gov, Uddhav also advocated for quota; Jarange slam Fadnavis

उद्धव ने की मराठा, धनगर समुदायों के लिए आरक्षण की मांग
वहीं, शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने रविवार को कहा कि अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लाभों को प्रभावित किए बिना मराठा और धनगर समुदायों को नौकरियों व शिक्षा में आरक्षण दिया जाना चाहिए। मराठा समुदाय का एक वर्ग आरक्षण के लिए खुद को ओबीसी खंड में शामिल करने की मांग कर रहा है, जबकि धनगर एसटी का दर्जा चाहते हैं।ठाकरे ने एक बयान में कहा कि भूख हड़ताल पर बैठे मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे के जीवन से खेलने के बजाय एकनाथ शिंदे सरकार को समुदाय को आरक्षण देना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सामाजिक इकाई को नुकसान न पहुंचे।जरांगे अपने समुदाय के लिए आरक्षण की मांग को लेकर जालना में 25 अक्तूबर से आमरण अनशन पर हैं।

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ‘मन की बात’ कर रही है, जबकि उसके ‘मन’ में कोई भावना नहीं है। ठाकरे ने आरोप लगाया, जरांगे की जान बचाने का उसका कोई इरादा नहीं है। जरांगे ने 29 अगस्त को उपवास किया था, जिसे उन्होंने मराठा समुदाय को आरक्षण सुनिश्चित करने के प्रयासों के बारे में राज्य सरकार के आश्वासन पर 14 सितंबर को तोड़ दिया था।  हालांकि, इस तरह के आरक्षण के प्रावधान के लिए जरांगे 24 अक्तूबर की समयसीमा के बाद दशहरा के एक दिन बाद भूख हड़ताल पर बैठ गए। ठाकरे ने अपने बयान में कहा कि मराठा समुदाय के युवा आरक्षण की मांग को लेकर आत्महत्या कर रहे हैं। ठाकरे ने पूछा, ‘क्या सरकार आरक्षण का आदेश समुदाय के शव पर लगाएगी।’ पिछले कुछ महीनों आरक्षण की मांग के समर्थन में राज्य के विभिन्न हिस्सों में मराठा समुदाय के सदस्यों के आत्महत्या करने की कई खबरें आई हैं।   

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‘ब्राह्मण’ टिप्पणी को लकर जरांगे ने साधा फडणवीस पर निशाना
वहीं, मराठा आरक्षण कार्यकर्ता जरांगे ने उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर निशाना साधा है। दरअसल, फडणवीस ने एक समाचार चैनल से बातचीत के दौरान कथित तौर पर टिप्पणी की थी कि उन्हें इसलिए आसान निशाना (सॉफ्ट टारगेट) बनाया जा रहा है, क्योंकि वह एक ब्राह्मण हैं और वह अपनी जाति बदलने के कुछ नहीं कर सकते। जरांगे ने कहा, अगर वह अपनी जाति नहीं बदल सकते तो हम मराठा भी अपनी जाति नहीं बदल सकते। वह गलतियां कर रहे हैं और इसलिए उन्हें निशाना बनाया जा रहा है। जरांगे ने कहा कि फडणवीस ने एक सितंबर को यहां आरक्षण कार्यकर्ता पर पुलिस कार्रवाई के लिए माफी मांगी थी, जिसके बाद समुदाय ने उन्हें माफ कर दिया। उन्होंने कहा, फडणवीस को महाराष्ट्र विधानसभा का विशेष सत्र बुलाना चाहिए और मराठों को आरक्षण देने के लिए एक कानून पारित करना चाहिए। समुदाय इस तरह के काम के लिए उनका बहुत सम्मान करेगा। जरांगे ने भाजपा नेता और जालना के प्रभारी मंत्री अतुल सावे की उनके मराठा विरोधी रुख के लिए आलोचना की और केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले और वंचित बहुजन अघाड़ी के नेता प्रकाश अंबेडकर की प्रशंसा की। 

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उपमुख्यमंत्री फडणवीस ने जताई जरांगे के स्वास्थ्य को लेकर चिंता
वहीं, उपमुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा, मनोज जरांगे के स्वास्थ्य का ध्यान रखा जाना चाहिए। डॉक्टरों की एक टीम वहां मौजूद है। जीवन महत्वपूर्ण है। जो लोग उनके साथ हैं, उन्हें भी उनका ख्याल रखने की जरूरत है। मुख्यमंत्री खुद इन सभी मुद्दों पर ध्यान दे रहे हैं। मुख्यमंत्री के माध्यम से प्रयास किया जा रहा है कि जो भी निर्णय सही हैं, वे लिए जाएं। मुझे लगता है कि उन्हें मुख्यमंत्री पर भरोसा होना चाहिए। 

अकोला जिले के चरणगांव ने नेताओं के प्रवेश पर लगाया प्रतिबंध
उधर, राज्य के अकोला जिले के चरणगांव के निवासियों ने कहा कि उन्होंने मराठा आरक्षण घोषित होने तक गांव में राजनीतिक नेताओं के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया है। उन्होंने पतुर तालुका के गांव के बाहर एक बोर्ड लगाया है, जिसमें घोषणा की गई है कि जब तक राज्य सरकार नौकरियों और शिक्षा में समुदाय के लिए आरक्षण की घोषणा नहीं करती है, तब तक किसी भी राजनीतिक दल का कोई नेता प्रवेश नहीं करेगा। ग्रामीण राजेश देशमुख ने बताया कि चरणगांव, अकोला का पहला इलाका है, जिसने इस तरह का फैसला लिया है। एक अन्य ग्रामीण ने कहा कि अगर नेता अपने बच्चों के भविष्य के बारे में सोच सकते हैं, तो हम क्यों नहीं और इसके लिए हमें आरक्षण की आवश्यकता है। 

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