बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में एनडीए की भारी जीत के पीछे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की सूझ-बूझ और रणनीति मुख्य वजह रही। चुनाव परिणामों में एनडीए 200 सीटें पार कर सबसे बड़ी पार्टी बनी, जिससे साबित हो गया कि अमित शाह ही पार्टी के असली ‘चाणक्य’ हैं।
1. चुनावी तैयारी में पटना में लंबा समय
चुनाव की घोषणा के बाद शाह ने करीब 19 दिन बिहार में बिताए। इस दौरान उन्होंने भाजपा और एनडीए सहयोगी पार्टियों के लिए चुनाव प्रचार अभियान का नेतृत्व किया, रैलियों और बैठकों में हिस्सा लिया और सभी क्षेत्रों में रणनीतिक दिशा तय की।
2. सत्ता विरोधी लहर को किया निरस्त
शाह ने जदयू और भाजपा के नेताओं के बीच समन्वय स्थापित किया और नीतीश कुमार के नेतृत्व में चुनाव लड़ने का नारा दिया। नारी शक्ति और युवा शक्ति से जुड़े मुद्दों को प्रमुखता देने के जरिए उन्होंने एनडीए को एकजुट रखा और सत्ता विरोधी लहर को असफल बनाया।
3. बागियों को मनाया, सीट शेयरिंग आसान बनाई
शाह ने बागी नेताओं को मनाने के लिए अपने कार्यक्रमों में बदलाव किया और 100 से अधिक नेताओं के साथ व्यक्तिगत बैठकें की। उन्होंने जदयू और लोजपा (रामविलास) के बीच दूरी मिटाई, जिससे सीट शेयरिंग पर विवाद टला और गठबंधन मजबूत हुआ।
4. चुनावी रणनीति का सूत्रधार बने रहे
भले ही शाह अब भाजपा अध्यक्ष नहीं हैं, लेकिन चुनावी रणनीति की जिम्मेदारी अभी भी उनके हाथ में है। वे देशभर में चुनावों की निगरानी करते हैं, रणनीति तय करते हैं और गठबंधन सहयोगियों के साथ समन्वय बनाए रखते हैं।
5. यूपी, हरियाणा और महाराष्ट्र में चुनावी जीत का अनुभव
शाह ने उत्तर प्रदेश में बूथ स्तर पर संगठन मजबूत किया और जातीय समीकरण के आधार पर भाजपा का सामाजिक आधार बढ़ाया। हरियाणा और महाराष्ट्र में भी उन्होंने विपक्ष की सत्ता विरोधी लहर को रोकते हुए भाजपा को जीत दिलाई।
6. मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार को हटाने की रणनीति
मध्य प्रदेश में कांग्रेस सरकार की स्थिति को भांपकर शाह ने ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके समर्थकों के साथ समन्वय किया। इसके बाद 22 कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे और ‘ऑपरेशन लोटस’ के जरिए भाजपा ने सत्ता पर कब्जा किया।
अमित शाह की रणनीति में व्यक्तिगत बैठकों, गठबंधन मैनेजमेंट और विरोधी दल की ताकत कम करने के हर पहलू को ध्यान में रखा गया। बिहार के चुनाव परिणामों ने उनकी राजनीतिक सूझ-बूझ और संगठन क्षमता को स्पष्ट रूप से दिखा दिया।