बिहार विधानसभा चुनाव में निराशाजनक नतीजों के बाद आरजेडी में आंतरिक असंतोष खुलकर सामने आने लगा है। टिकट नहीं मिलने पर सार्वजनिक तौर पर भावुक हो चुके आरजेडी नेता मदन शाह ने अब पार्टी नेतृत्व और टिकट वितरण प्रक्रिया पर गंभीर सवाल उठाए हैं।
मदन शाह ने कहा कि टिकट न मिलने का सदमा इतना गहरा था कि वे मानसिक रूप से टूट गए थे। उन्होंने बताया कि वे पटना में लालू प्रसाद यादव से मिलने पहुंचे थे, लेकिन उनसे मुलाकात नहीं हो सकी। दुख और आक्रोश में उन्होंने कपड़े फाड़ दिए और जमीन पर लेटकर रो पड़े। शाह के अनुसार, उसी क्षण उन्होंने कह दिया था कि पार्टी 25 सीटों पर सिमट जाएगी और चुनाव नतीजे ठीक वैसा ही लेकर आए।
“पार्टी की दुर्गति देखकर दुख होता है”
मदन शाह ने कहा कि आरजेडी की हार से वे खुश नहीं, बल्कि बेहद आहत हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि पार्टी में कुछ लोग खुद को ‘चाणक्य’ कहलवाकर संगठन का नुकसान कर रहे हैं। उनके अनुसार, टिकट बंटवारे में लालू प्रसाद से सलाह भी नहीं ली गई और इसी वजह से पार्टी को यह भारी झटका लगा।
टिकट के बदले धन की मांग की खबरों पर मदन शाह ने कहा कि उनसे कोई सीधी मांग नहीं की गई, बल्कि मीडिया में बात फैलाकर उन्हें दबाव में लाने की कोशिश हुई। उन्होंने कहा कि “मैं 1990 से आरजेडी से जुड़ा हूं, पार्टी के लिए संघर्ष किया है- मैं टिकट के लिए पैसे क्यों दूंगा?”
“लालू यादव ने वादा किया था, फिर भी टिकट काट दिया गया”
मदन शाह के अनुसार, लालू यादव ने खुद उनसे कहा था कि वे चुनाव की तैयारी करें, उन्हें टिकट मिलेगा। तेजस्वी यादव ने भी आश्वासन दिया था। उनका दावा है कि टिकट घोषित होने से कुछ घंटे पहले तक उन्हें बताया जाता रहा कि उनका नाम तय है। लेकिन अंतिम सूची में उनका नाम शामिल नहीं था।
उन्होंने संजय यादव को पार्टी की गिरती स्थिति के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि जब तक उन्हें संगठन से हटाया नहीं जाता, तब तक हालात सुधरने की संभावना कम है।
चुनाव नतीजों ने बढ़ाया विवाद
बिहार चुनाव में आरजेडी सिर्फ 25 सीटों पर सिमट गई, जिससे संगठन में असंतोष और प्रबल हो गया है। बीजेपी और जदयू गठबंधन ने 202 सीटों के साथ भारी बहुमत हासिल किया है। महागठबंधन के अन्य दल कांग्रेस और वाम पार्टियां भी अपेक्षा से बहुत कम सीटें ला पाईं।
मदन शाह का बयान ऐसे समय सामने आया है जब पार्टी पहले से ही बदले राजनीतिक समीकरणों और आंतरिक खींचतान से जूझ रही है।