बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर इंडिया गठबंधन में सीट शेयरिंग का मसला अब भी पूरी तरह तय नहीं हुआ है। कांग्रेस, वाम दल और वीआईपी की मांगों ने राजद के नेता तेजस्वी यादव की चिंता बढ़ा दी है। पहले चरण की सीटों के कई उम्मीदवार अपने समर्थकों के साथ राबड़ी आवास और तेजस्वी यादव के आवास के बाहर धरना दे रहे हैं। कुछ समर्थक पिछले पांच दिनों से लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं और सभी राजद प्रत्याशियों की सूची जारी करने की मांग कर रहे हैं।

इसी मुद्दे को लेकर शुक्रवार को राबड़ी आवास पर राष्ट्रीय जनता दल की बैठक हुई। इस बैठक की अध्यक्षता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू यादव ने की। बैठक में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव, प्रदेश अध्यक्ष मंगनी लाल मंडल, वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री अब्दुल बारीक सिद्दीकी, उदय नारायण चौधरी और आलोक मेहता शामिल हुए। करीब दो घंटे चली इस बैठक में आगामी विधानसभा चुनाव में सीट शेयरिंग, उम्मीदवारों का चयन और चुनाव प्रचार-प्रसार सहित अन्य विषयों पर चर्चा हुई।

सूत्रों के अनुसार, 2020 के विधानसभा चुनाव में बड़ी जीत दर्ज करने वाले कुछ मौजूदा विधायक हरी झंडी पा चुके हैं। वहीं, कुछ नए नेताओं को भी उनके रिपोर्ट कार्ड और पिछले अनुभव के आधार पर टिकट दिया जा रहा है। इनमें जदयू छोड़कर आए पूर्व सांसद संतोष कुशवाहा और पूर्व विधायक राहुल शर्मा भी शामिल हैं। हालांकि, राजद की ओर से अभी औपचारिक तौर पर प्रत्याशियों के नामों की घोषणा नहीं हुई है। पार्टी नेतृत्व का कहना है कि अगले 24 से 48 घंटे में उम्मीदवारों के नाम घोषित कर दिए जाएंगे।

करीब 80 से अधिक सीटों पर राजद के शीर्ष नेतृत्व ने उम्मीदवार तय कर लिए हैं। इस बार तेजस्वी यादव खुद हर सीट पर प्रत्याशी की समीक्षा कर रहे हैं। उनका मानना है कि टिकट उन्हीं नेताओं को दिया जाना चाहिए जो पार्टी का झंडा मजबूती से उठाकर विधानसभा में जीत सुनिश्चित कर सकें।

तेजस्वी यादव ने कहा कि पिछले बीस साल से राज्य पर राज कर रही खटारा सरकार के कारण बिहार की जनता बेरोजगारी, महंगाई, भ्रष्टाचार और पलायन जैसी समस्याओं से जूझ रही है। जनता अब बदलाव चाहती है। उन्होंने आश्वासन दिया कि इंडिया गठबंधन की सरकार बनने पर ये समस्याएं दूर करने का काम किया जाएगा।

राजद ने 2020 के विधानसभा चुनाव में कुल 144 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, जिनमें से 75 सीटों पर उसे सफलता मिली थी।