अरनिया सेक्टर के 15 गांवों के किसानों ने मंगलवार को राजस्व विभाग और प्रदेश सरकार के खिलाफ जोरदार विरोध दर्ज कराया। किसान लंबे समय से तारबंदी के भीतर आने वाली जमीन के मालिकाना हक और उचित मुआवज़े की मांग उठा रहे हैं।

प्रदर्शन का नेतृत्व तरेबा गांव की पूर्व सरपंच बलबीर कौर ने किया, जबकि आल्हा की पूर्व सरपंच कमलेश कुमारी और पूर्व उप सरपंच लवली सिंह भी prominently उपस्थित रहीं। अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटे क्षेत्रों में किसानों ने रैली निकालकर विभाग और सरकार के खिलाफ नारे लगाए।

किसानों का आरोप है कि राजस्व विभाग जानबूझकर उन्हें परेशान कर रहा है। बलबीर कौर ने कहा कि सीमांत गांवों के किसान दशकों से इन जमीनों पर खेती कर रहे हैं, लेकिन न तो अब तक उन्हें मालिकाना हक मिला और न ही किसी प्रकार का मुआवज़ा। उल्टा विभाग खेतों में फिर से निशानदेही कर कब्जा करने जैसी कार्रवाई कर रहा है।

उन्होंने बताया कि कभी इन जमीनों को सरकारी, कभी कस्टोडियन और कभी वक्फ बोर्ड की भूमि बताकर किसानों को भ्रमित और प्रताड़ित किया जा रहा है। किसानों का कहना है कि यदि सुरक्षा कारणों या किसी परियोजना के लिए जमीन की आवश्यकता है तो वे देने को तैयार हैं, लेकिन पहले उन्हें वैध मालिकाना हक और उचित मुआवज़ा दिया जाए।

प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगों को जल्द पूरा नहीं किया गया, या किसानों पर दबाव बनाया गया, तो वे बड़े स्तर पर जन आंदोलन शुरू करेंगे, जिसकी जिम्मेदारी सरकार और प्रशासन पर होगी।

25 वर्षों से मुआवज़े का इंतजार

किसानों का कहना है कि उनकी सैकड़ों एकड़ जमीन पर कब्जा किया जा रहा है, लेकिन बदले में मुआवज़ा नहीं दिया गया। राजस्व विभाग के अधिकारी बिना बात सुने जमीन पर पिकेट लगा रहे हैं। किसानों ने याद दिलाया कि 1965 और 1971 के युद्ध, तथा हाल के ऑपरेशन सिंदूर के दौरान उन्होंने बीएसएफ और सेना के साथ खड़े होकर देश की सुरक्षा में सहयोग किया था।

इनमें से अधिकांश परिवार 1965 और 71 में पाकिस्तान से आकर यहां बसे थे और उस समय सरकार ने उन्हें यह जमीनें आवंटित की थीं। उनका कहना है कि वे 25 वर्षों से मुआवज़े की प्रतीक्षा कर रहे हैं, लेकिन अब तक उनकी सुनवाई नहीं हुई।