विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने शनिवार को कहा कि आज दुनिया भारत को पहले से अधिक सकारात्मक दृष्टि से देखती है और देश की बदलती वैश्विक छवि अब एक स्पष्ट सच्चाई बन चुकी है। उन्होंने यह बात पुणे स्थित सिम्बायोसिस इंटरनेशनल (डीम्ड यूनिवर्सिटी) के 22वें दीक्षा समारोह में कही।
जयशंकर ने कहा कि वैश्विक सत्ता और प्रभाव के केंद्र अब कई हैं, और कोई भी देश, चाहे कितना भी शक्तिशाली क्यों न हो, सभी मामलों में अपनी इच्छानुसार दबाव नहीं डाल सकता। उन्होंने भारत की मानव संसाधन क्षमता और तकनीकी दक्षता की भी तारीफ की और कहा कि कई विकसित देश जनसांख्यिकीय और आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, जबकि भारत निरंतर तरक्की कर रहा है।
विदेश मंत्री ने देश की छवि सुधार और नेशनल ब्रांड की मजबूती पर भी जोर दिया। उनका कहना था कि दुनिया अब भारतीयों को मेहनती, पारिवारिक मूल्यों को मानने वाले और तकनीकी रूप से सक्षम लोगों के रूप में देखती है। इसके साथ ही भारत में व्यवसायिक माहौल में सुधार और विदेशों में भारतीय प्रतिभा की मांग बढ़ने जैसी उपलब्धियां इस बदलाव का प्रमाण हैं।
जब उनसे पूछा गया कि क्या देश के लिए केवल एक जयशंकर ही काफी हैं, तो उन्होंने हनुमान का उदाहरण देते हुए कहा कि नेतृत्व और विज़न के बिना कोई भी बदलाव संभव नहीं। “देश को नेताओं और उनके दृष्टिकोण से पहचाना जाता है, और इसे लागू करने वाले लोग हनुमान की तरह सेवा करते हैं,” उन्होंने कहा।
जयशंकर ने कहा कि भारत की वैश्विक पहचान में सबसे बड़ा योगदान इसके मानव संसाधनों का है। “अन्य देशों ने अपनी मौजूदगी आर्थिक लेन-देन के माध्यम से दर्ज कराई है, लेकिन जो चीज हमें अलग बनाती है, वह है हमारे मानव संसाधन और उनकी क्षमता,” उन्होंने स्पष्ट किया।
विदेश मंत्री ने यह भी कहा कि भारत की छवि में यह बदलाव निरंतर जारी है और इसे नकारा नहीं जा सकता। वैश्विक स्तर पर भारतीय प्रतिभा और कौशल की मांग बढ़ रही है, और यह हमारी नेशनल ब्रांड को मजबूती देने में अहम भूमिका निभा रही है।